बाल गंगाधर तिलक पर भाषण (Speech on Lokmanya Tilak in Hindi 2025)
1 मिनट के लिए बाल गंगाधर तिलक पर भाषण (Speech on Lokmanya Tilak in Hindi 2025) इस प्रकार है-
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथियों,
आज मैं यहां भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राष्ट्र जागरण के अग्रदूत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक पर अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए खड़ा हूं. तिलक जी को “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा” जैसे नारे के लिए जाना जाता है.
लोकमान्य तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनका असली नाम केशव गंगाधर तिलक था. वे बचपन से ही तेज और जिज्ञासु थे. उन्होंने पुणे के डेक्कन कॉलेज से गणित में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में कानून की पढ़ाई भी पूरी की. शुरू में वे शिक्षक बने और बाद में पत्रकारिता और समाज सुधार में लग गए.
तिलक ने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर न्यू इंग्लिश स्कूल की स्थापना की ताकि भारतीय युवाओं को अच्छी शिक्षा मिल सके. इसी प्रयास से डेक्कन एजुकेशन सोसायटी और फर्ग्यूसन कॉलेज की शुरुआत हुई. वे मानते थे कि शिक्षा ही देश को आगे ले जा सकती है.
लोकमान्य तिलक को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का ‘जनक’ कहा जाता है. उन्होंने कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर स्वराज की मांग शुरू की. वे स्वदेशी आंदोलन और होम रूल लीग के जरिए जनता को आजादी के लिए जागरूक करते रहे. आज भी वह हम सभी के लिए प्रेरणा हैं. धन्यवाद.
यह भी पढ़ें- 25000 करोड़ का Offer किया रिजेक्ट, AI की दुनिया में रचा इतिहास, IIT-IIM नहीं Varun ने यहां से की पढ़ाई
बाल गंगाधर तिलक पर भाषण (Speech on Lokmanya Tilak in Hindi 2025)
2 मिनट के लिए बाल गंगाधर तिलक पर भाषण (Speech on Lokmanya Tilak in Hindi 2025) इस प्रकार है-
सुप्रभात/नमस्कार सभी को,
मैं आज उस महान स्वतंत्रता सेनानी पर दो शब्द कहने जा रहा-रहीं हूं, जिनका नाम सुनते ही हर भारतवासी गर्व से भर उठता है और वह नाम है लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक. बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ था. वह शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थे. उन्होंने गणित और कानून में डिग्री ली और बाद में शिक्षक, लेखक और पत्रकार बने.
उन्हें असली पहचान तब मिली जब उन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने नारा दिया – “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा.” यह नारा पूरे देश में जोश और प्रेरणा का स्रोत बन गया.
उन्होंने ‘केसरी’ और ‘मराठा’ नाम से अखबार शुरू किए, जो लोगों को आजादी के लिए जागरूक करते थे. तिलक जी ने ‘गणेश उत्सव’ और ‘शिवाजी उत्सव’ को सार्वजनिक रूप देकर लोगों को एकजुट किया. वह कई बार जेल भी गए, लेकिन कभी पीछे नहीं हटे. उन्होंने होम रूल लीग की स्थापना की और लोगों को स्वराज के लिए तैयार किया.
1 अगस्त 1920 को उनका निधन हो गया लेकिन उनके विचार और योगदान हमेशा अमर रहेंगे. अंत में मैं यही कहूंगा कि तिलक जी ने हमें सिखाया कि हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए और देश के लिए हमेशा समर्पित रहना चाहिए. जय हिंद.
यह भी पढ़ें- UG Admission 2025: DU-BHU ही नहीं ये College भी आगे, CUET Admission के लिए बढ़ गई डिमांड!