Indians In Yemen: ना पैसा, ना सुरक्षा, फिर भी नौकरी के लिए यमन का रुख क्यों करते हैं भारतीय?

Indians In Yemen: यमन में गंभीर संकट के बावजूद हजारों भारतीय रोजगार और आजीविका की तलाश में वहां मौजूद हैं. खासकर नर्सिंग क्षेत्र में केरल की महिलाओं की बड़ी भूमिका है. एजेंटों के बहकावे और मजबूरी में वे खतरनाक हालात में भी नौकरी करने पहुंच जाते हैं.

By Pushpanjali | July 19, 2025 2:21 PM
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Indians In Yemen: यमन आज दुनिया के सबसे अधिक संकटग्रस्त देशों में गिना जाता है. लगातार युद्ध, गरीबी, बेरोजगारी और अस्थिर हालातों के बावजूद यहां आज भी भारतीय समुदाय की उपस्थिति बनी हुई है. कभी स्थायी प्रवासी, तो कभी रोजगार की तलाश में पहुंचे अस्थायी कामगार—भारतीयों की कहानियां यमन की ज़मीन पर दर्ज हैं.

भारतीयों की उपस्थिति कितनी?

यमन में भारतीय मूल के लोगों की संख्या को लेकर कई अनुमान हैं. कुछ रिपोर्टें इसे 10,000 से 1,50,000 तक बताती हैं, वहीं भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अभी यमन में करीब 1120 भारतीय नागरिक मौजूद हैं. 2010 से पहले की रिपोर्टों के मुताबिक, हिंदू समुदाय (मुख्यतः भारतीय मूल) की अच्छी-खासी आबादी अदन, मुकल्ला, लाहज जैसे इलाकों में थी.

क्यों जाते हैं भारतीय यमन?

यमन में भारतीय समुदाय मुख्य रूप से नर्सिंग, चिकित्सा सेवा और व्यापार से जुड़ा हुआ है. केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से बड़ी संख्या में युवा नर्सिंग कोर्स करके रोजगार की तलाश में यहां पहुंचते हैं. यमन के निजी अस्पतालों में एक नर्स को 500–800 अमेरिकी डॉलर तक वेतन मिल सकता है, जो भारत के छोटे शहरों के मुकाबले बेहतर है. कई युवाओं के लिए यह लोन चुकाने और परिवार को मदद भेजने का रास्ता होता है.

खतरनाक है यमन का माहौल

यमन पिछले एक दशक से गृह युद्ध झेल रहा है. सुरक्षा हालात बदतर हैं. इसके बावजूद कुछ निजी एजेंट बेरोजगार युवाओं को बेहतर नौकरी का लालच देकर यमन जैसे असुरक्षित देश भेज देते हैं. कई बार लोगों को तब पता चलता है कि उनकी नौकरी “दुबई” नहीं, बल्कि “सना (यमन)” में है.

स्थायी रूप से बसे भारतीय

यमन में कुछ भारतीय समुदाय 19वीं सदी से बसे हुए हैं. गुजराती, मलयाली, तमिल और उत्तर भारतीय मुस्लिम अडन जैसे क्षेत्रों में ब्रिटिश काल से व्यापार और नौकरी के लिए पहुंचे. दाऊदी बोहरा समुदाय के कई परिवार हुदैदा और सना जैसे इलाकों में अब स्थानीय नागरिक बनकर रह रहे हैं, लेकिन अपनी भारतीय विरासत को अब भी संजोए हुए हैं.

नर्सों की मांग क्यों ज्यादा है?

यमन में डॉक्टरों की कमी है. युद्ध के चलते स्वास्थ्य ढांचा प्रभावित हुआ है. भारतीय नर्सों की ईमानदारी और मेहनत की ख्याति के कारण यहां की निजी चिकित्सा संस्थाएं उन्हें प्राथमिकता देती हैं. यही कारण है कि संकट के बावजूद भारतीय नर्सें यमन का रुख करती हैं.

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