Karl Marx Books in Hindi: कार्ल मार्क्स की पुस्तकों के नाम क्या हैं? देखें यहां

Karl Marx Books in Hindi: कार्ल मार्क्स एक महत्वपूर्ण विचारक, अर्थशास्त्री और राजनीति विशेषज्ञ थे और उनकी किताबों ने समाजवाद और साम्यवाद के सिद्धांतों को मजबूत किया. उनकी प्रमुख किताबों में द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो (1848) है और इसे उन्होंने फ्रेडरिक एंगेल्स के साथ मिलकर लिखा था.

By Shubham | March 12, 2025 4:09 PM
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Karl Marx Books in Hindi: कार्ल मार्क्स एक महत्वपूर्ण विचारक, अर्थशास्त्री और राजनीति विशेषज्ञ थे और उनकी किताबों ने समाजवाद और साम्यवाद के सिद्धांतों को मजबूत किया. उनकी प्रमुख किताबों में द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो (1848) है और इसे उन्होंने फ्रेडरिक एंगेल्स के साथ मिलकर लिखा था. इसमें उन्होंने श्रमिकों से पूंजीवादी व्यवस्था को बदलने की अपील की थी. दूसरी प्रमुख किताब दास कैपिटल (1867) है और ऐसी ही अन्य किताबें हैं जिन्होंने राजनीति और समाज को प्रभावित किया. इसलिए इस लेख में आपको कार्ल मार्क्स की पुस्तकों के नाम (Books of Karl Marx in Hindi) बताए जा रहे हैं.

कार्ल मार्क्स की पुस्तकों के नाम क्या हैं? (Karl Marx Books in Hindi)

कार्ल मार्क्स की पुस्तकों के नाम क्या हैं? (Karl Marx Books in Hindi) इस प्रकार हैं-

किताब का नामको-राइटरप्रकाशन वर्ष
द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो (The Communist Manifesto)फ्रेडरिक एंगेल्स (Friedrich Engels)1848
दास कैपिटल (खंड I) (Das Kapital, Volume I)कोई नहीं 1867
दास कैपिटल (खंड II) (Das Kapital, Volume II)फ्रेडरिक एंगेल्स (Friedrich Engels)1885
दास कैपिटल (खंड III) (Das Kapital, Volume III)फ्रेडरिक एंगेल्स (Friedrich Engels)1894
जर्मन विचारधारा (The German Ideology)फ्रेडरिक एंगेल्स (Friedrich Engels)1846
राजनीतिक अर्थशास्त्र की आलोचना (Critique of Political Economy)कोई नहीं 1859
दार्शनिकता की दरिद्रता (The Poverty of Philosophy)कोई नहीं 1847

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कार्ल मार्क्स का जन्म कहां हुआ था? (Karl Marx in Hindi)

कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 को जर्मनी के पश्चिमी हिस्से में स्थित ट्रायर शहर में हुआ था. उस समय यह शहर प्रशिया राइनलैंड का हिस्सा था. ट्रायर का ऐतिहासिक महत्व था और यह एक रोमन बस्ती भी रही है. मार्क्स का परिवार अच्छा था क्योंकि उनके पिता एक वकील थे. मार्क्स ने अपनी शुरुआती जिंदगी ट्रायर में बिताई और इसके बाद वह अपनी पढ़ाई और काम के लिए दूसरे शहरों में गए. मार्क्स ने अपना अधिकांश जीवन पेरिस, ब्रुसेल्स और लंदन जैसे शहरों में बिताया लेकिन ट्रायर हमेशा उनके लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रहा. आज ट्रायर में उनके जीवन और काम से जुड़े संग्रहालय और स्थल हैं जो उनकी विरासत को याद दिलाते हैं और उनके विचारों को समझने में मदद करते हैं.

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