उसके स्टार स्ट्राइकर एंटोनी ग्रीजमैन ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ भले ही पेनल्टी को गोल में बदला लेकिन वह अब तक अपने असली रंग में नहीं दिखे हैं. फ्रांस पहले ही नाकआउट के लिये क्वालीफाई कर चुका है लेकिन उसकी निगाह अपने ग्रुप में शीर्ष स्थान बरकरार रखने पर टिकी है ताकि अंतिम 16 में उसे क्रोएशिया का सामना नहीं करना पड़े जिसका ग्रुप डी में शीर्ष स्थान तय माना जा रहा है.
मिडफील्डर कोरेंटन तोलिसो ने कहा, ‘‘उस ग्रुप (डी) में क्रोएशिया सबसे खतरनाक नजर आ रहा है। इसलिए बेहतर यही होगा कि अपने ग्रुप में शीर्ष पर रहकर नाकआउट में उससे बचा जाए.’ ग्रुप सी से दूसरे स्थान पर रहने वाली टीम को अर्जेंटीना या नाईजीरिया का सामना करना पड़ सकता है. फ्रांस ड्रा खेलने पर भी ग्रुप में शीर्ष पर रहेगा. डेनमार्क के लिये भी नाकआउट में पहुंचने के लिये ड्रा पर्याप्त है. उसने भी पेरू को 1-0 से हराने के बाद आस्ट्रेलिया से 1-1 से ड्रा खेला था. लेकिन फ्रांस से हारने पर डेनमार्क पर बाहर होने का खतरा मंडराने लगेगा क्योंकि ऐसे में उसे उसी समय सोची में आस्ट्रेलिया और पेरू के बीच होने वाले मैच के परिणाम पर निर्भर रहना होगा.
डेनमार्क को मिडफील्डर विलियम क्विस्ट के चोटिल होने से झटका लगा है. वह रविवार को टीम से जुड़ गये हैं लेकिन उनका कल खेलना संदिग्ध है. ऐसे में डेनमार्क के लिये राह आसान नहीं होगी क्योंकि डिडियर डिसचैम्प्स की फ्रांसीसी टीम उसे हराने के लिये प्रतिबद्ध है. इसका एक कारण यह भी है कि डेनमार्क के कोच ऐज हैरीड ने पिछले दिनों ही उसकी टीम को ‘कुछ खास’ नहीं करार दिया था और फ्रांसीसी उन्हें गलत साबित करने लिये पूरी तरह से तैयार हैं.
तोलिसो ने कहा, ‘‘हमने इस पर चर्चा की थी और हम उन्हें गलत साबित करने के लिये प्रतिबद्ध हैं.’ फ्रांस और डेनमार्क इससे पहले विश्व कप में दो बार एक दूसरे का सामना कर चुके हैं. फ्रांस ने 1998 में 2-1 से जीत दर्ज की थी तो इसके चार साल बाद डेनमार्क ने 2-0 की जीत से बदला चुकता कर दिया था. फ्रांस ने हालांकि इन दोनों टीमों के बीच खेले गये पिछले सात में से छह मैच जीते हैं. उसे इस बीच केवल 2002 में हार का सामना करना पड़ा.