ASCI विज्ञापन उद्योग के स्व-नियामक निकाय एएससीआई ने शैक्षणिक निकायों के अभियानों के लिए अपने दिशानिर्देशों में बदलाव किया है. एएससीआई ने शैक्षणिक निकायों से कहा है कि वे कम अंक लाने वाले छात्रों को असफल या विफल के रूप में नहीं दिखाएं.
छात्र-छात्राओं के मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने पर केंद्रित हैं दिशानिर्देश
भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) की महासचिव और मुख्य कार्यकारी मनीषा कपूर ने कहा, शिक्षा में अत्यधिक दबाव वास्तविकता है. विज्ञापन में इस समस्या को स्थायी नहीं बनाना चाहिए. न ही इसके जरिये विद्यार्थियों का शोषण किया जाना चाहिए. पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि एएससीआई ने एक परामर्श प्रक्रिया के जरिये ये बदलाव किये हैं. ये दिशानिर्देश छात्र-छात्राओं के मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने पर केंद्रित हैं.
छात्र-छात्राओं को असफल के रूप में चिह्नित नहीं करना चाहिए
ASCI के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों, कोचिंग कक्षाओं और शिक्षा प्रौद्योगिकी मंचों सहित शैक्षणिक संस्थानों को संशोधित दिशानिर्देशों का पालन करने की जरूरत होगी. निकाय ने सुझाव दिया है कि शिक्षा क्षेत्र के विज्ञापनदाताओं को छात्रों को उनके लड़की या लड़का होने या कम अंक के आधार पर असफल के रूप में चिह्नित नहीं करना चाहिए. निकाय ने सुझाव दिया है कि विज्ञापन अभियानों में किसी तरह की बेताबी या कुछ खोने का डर नहीं दिखाया जाना चाहिए.
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