Lights, Camera and Action: अब गांव-कस्बों में शूट हो रही फिल्में, बिहार बन रहा फिल्म शूटिंग का नया हब

Lights, Camera and Action: बिहार की फिल्म नीति ने सूबे की तस्वीर बदल दी है. अब मुंबई नहीं, बिहार के गली-कस्बों में फिल्मों की शूटिंग हो रही है. इसके तहत सरकार 4 करोड़ तक की सब्सिडी दे रही है. पटना से कैमूर, वाल्मीकिनगर से समस्तीपुर तक कैमरा घूम रहा है.

By हिमांशु देव | July 2, 2025 12:58 PM
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Lights, Camera and Action: प्रदेश में अब सिनेमा सिर्फ पर्दे तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि प्रदेश खुद एक बड़ीस्क्रिप्ट का हिस्सा बनता जा रहा है. राज्य सरकार की फिल्म प्रोत्साहन नीति के लागू होने के बाद फिल्म निर्माताओं का रुझान बिहार की ओर तेजी से बढ़ा है. अब लाइट, कैमरा और एक्शन सिर्फ मुंबई या हैदराबाद जैसे शहरों की चीज नहीं रही. हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंग्रेजी समेत कई भाषाओं की फिल्मों की शूटिंग अब बिहार की गलियों, गांवों, कस्बों और जंगलों में हो रही है.

बिहार के वीटीआर, कैमूर, गया, बांका जैसे इलाकों के साथ-साथ पटना का जेपी गंगा पथ, राजगीर और नालंदा जैसे पर्यटन स्थल अब शूटिंग के हॉटस्पॉट बनते जा रहे हैं. इससे न सिर्फ राज्य की खूबसूरती कैमरे में कैद हो रही है, बल्कि यहां के कलाकारों को भी मौके मिल रहे हैं. खासकर थिएटर से जुड़े लोगों को. पेश है इसपर आधारित रिपोर्ट..

फिल्म नीति ने बदली तस्वीर

साल 2024 में बिहार सरकार ने राज्य की पहली फिल्म प्रोत्साहन नीति लागू की. इसका उद्देश्य फिल्मों की शूटिंग को बढ़ावा देना और पर्यटन को एक नया प्लेटफॉर्म देना था. इसके तहत अगर किसी फिल्म की 75 प्रतिशत से ज्यादा शूटिंग बिहार में होती है, तो उसे 4 करोड़ रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा. अन्य राज्यों में अधिकतम अनुदान राशि 2.5 करोड़ रुपये है, जबकि बिहार ने इसे और बेहतर बनाते हुए क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों को 50 प्रतिशत तक लागत का अनुदान देने की व्यवस्था की है.


धीरज कुमार बना रहे ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर फिल्म

बिहार की प्रतिभा अब सिनेमा के माध्यम से समाज को नया संदेश दे रही है. फिल्म निर्देशक धीरज कुमार इन दिनों एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म बिहान की शूटिंग में जुटे हैं, जो ह्यूमन ट्रैफिकिंग की शिकार लड़कियों की पीड़ा और उनके पुनर्वास की कहानी को उजागर करती है. फिल्म की कहानी एक पत्रकार पर केंद्रित है जो ट्रैफिकिंग की शिकार लड़की को बचाकर उसके जीवन में रोशनी लाती है. पत्रकार की भूमिका खुशाली, जबकि पीड़ितलड़की बिहान का किरदार प्रियंका सिंह निभा रही हैं. धीरज कुमार ने कहा कि यह मेरी कोशिश है कि मैं अपने राज्य बिहार को सिनेमा के जरिये सही छवि दिला सकूं. शुरुआत में लोग बिहार को लेकर संशय में थे, लेकिन अब उनकी धारणा बदल रही है. शूटिंग के लिए बिहार सरकार से पूरा सहयोग मिला है. अब तक पटना के महावीर मंदिर, मरीन ड्राइव, गांधी मैदान, पीएनएम मॉल, दीघा बाजार, शाहपुर घाट और कंगन घाट सहित कई स्थलों पर शूटिंग हो चुकी है. फिल्म में खुशाली कुमार, टेरेंस लुईस, अभिमन्यु सिंह, पद्मिनी कोल्हापुरे, हिमानी शिवपुरी और तिग्मांशु धूलिया जैसे कलाकार भी शामिल हैं.

पर्यटन स्थल बन रहे शूटिंग स्पॉट


फिल्मों की शूटिंग के लिए राज्य के कई प्रमुख पर्यटन स्थलों को प्राथमिकता दी जा रही है. कैमूर के पहाड़, गया के जंगल, पटना का जेपी गंगा पथ, सासाराम, नवादा और राजगीर जैसे स्थानों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से बुक किया जा सकता है.


अगले छह माह में बिहार का बदल जायेगा नक्शा

राव देवेंद्र सिंह के निर्देशन में बन रही सस्पेंस थ्रिलर फिल्म टिया की लगभग शूटिंग बिहार में हुई. निर्देशक ने बताया कि 90 प्रतिशत हिस्सा वाल्मीकिनगर और आसपास के क्षेत्रों में फिल्माया गया है, जबकि शेष 10 फीसदी शूटिंग पटना के बोरिंग रोड, मरीन ड्राइव, इस्कॉन मंदिर, पाटलिपुत्र कॉलोनी, रूबन हॉस्पीटल, और राजवंशी नगर जैसी जगहों हुई. इस फिल्म में ‘द कश्मीर फाइल्स’ के अभिनेता दर्शन कुमार और ‘काली काली आंखें’ वेब सीरीज की अभिनेत्री आंचल सिंह मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. बाल कलाकार की भूमिका ईरा सिन्हा निभा रही हैं, जिसके किरदार का नाम टियाहै. इसके अलावे स्थानीय कलाकारों का भी इसमें मौका दिया गया. इसी तरह काम चलेगा तो अगले छह माह में बिहार का नक्शा बदल जायेगा. वहीं, निर्माता सागर श्रीवास्तव ने बताया कि बिहार की संस्कृति को बड़े पर्दे पर दिखाने का उनका सपना था, जो राज्य की फिल्म नीति के कारण साकार हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि इस फिल्म का एक स्थायी सेट संतपुर सोहरिया पंचायत के घोटवा टोला में बनाया गया, जहां ग्रामीणों ने न केवल जमीन निःशुल्क उपलब्ध करायी.


स्थानीय कलाकारों को मिल रहा मंच

फिल्म नीति का एक बड़ा फायदा यह हुआ है कि अब बिहार के थिएटर कलाकारों को फिल्मों में काम मिल रहा है. अभिनय, कैमरा, मेकअप और अन्य तकनीकी क्षेत्र में भी युवाओं को रोजगार मिल रहा है. इसके साथ ही, अभिनय प्रशिक्षक हेमंत माहौर और निर्देशक अभिलाश शर्मा ने फिल्म निर्माण की बारीकियां सिखाईं.


300 कुत्तों व 100 एंबुलेंस के साथ हुई ‘ओ माय डॉग’ की शूटिंग

बिहार में फिल्म नीति लागू होने के बाद शूटिंग को नया पंख मिला है. हाल ही में चर्चित अभिनेता पंकज त्रिपाठी अभिनीत फिल्म ‘ओ माय डॉग’ की शूटिंग पटना और आसपास के क्षेत्रों में बड़े स्तर पर हुई. इस फिल्म की खासियत यह रही कि इसमें 300 कुत्तों, 100 एंबुलेंस और असली सरकारी कैडेट्स के साथ शूटिंग की गई. फिल्म के कार्यकारी निर्माता आशीष रघुवंशी ने बताया कि फिल्म का लेखन और निर्देशन अमित राय ने किया है, जबकि निर्माण अजय राय, अमित राय और सना वारसी ने किया. कलाकारों की सूची में पंकज त्रिपाठी के अलावा राजेश कुमार, बुल्लू कुमार, पवन मल्होत्रा, गीता अग्रवाल व किलकारी के छात्र शामिल हैं. उन्होंने बताया कि फिल्म की शूटिंग भिखना पहाड़ी, नया टोला, जहाजी कोठी, हाजीपुर और छपरा में की गई.

फिल्म अनमोल घड़ी में स्थानीय प्रतिभाओं को मिल रहा मंच

समस्तीपुर जिले में इन दिनों भोजपुरी फिल्म ‘अनमोलघड़ी’ की शूटिंग जोर-शोर से चल रही है. फिल्म की निर्माता चेतना झाम ने इसे सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भोजपुरी भाषा, संस्कृति और विरासत को समर्पित एक मिशन बताया है. उन्होंने कहा कि यह फिल्म उन युवाओं की कहानी है जो 12वीं पास करने के बाद जिंदगी के दोराहे पर खड़े होते हैं. कुछ सफलता की राह पकड़ते हैं, तो कुछ भटक जाते हैं. हमारी कोशिश है कि यह फिल्म युवाओं को प्रेरणा दे और साफ-सुथरी भोजपुरी सिनेमा की नई दिशा तय करे. फिल्म में ज्यादातर कलाकार और तकनीकी टीम समस्तीपुर की है, जिससे स्थानीय प्रतिभाओं को मंच मिल रहा है. चेतना ने भोजपुरी भाषा की गिरती स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब इसे फिर से सम्मान दिलाया जाए. फिल्म का निर्देशन चंद्रकांत पांडे कर रहे हैं.

तीन चरणों में मिलती है सब्सिडी

1. पहला चरण: शूटिंग की अनुमति
2. दूसरा चरण: पोस्ट-प्रोडक्शन यानी एडिटिंग वगैरह
3. तीसरा चरण: फिल्म रिलीज होने के बाद रिलीज सर्टिफिकेट के साथ आवेदन

15 फिल्मों की शूटिंग को मिली है मंजूरी

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