वेब सीरीज – गर्मी
निर्देशक -तिग्मांशु धुलिया
कलाकार – व्योम यादव,विनीत कुमार, अनुष्का कौशिक,जतिन गोस्वामी, पुनीत सिंह, अनुराग ठाकुर,मुकेश तिवारी, दिशा ठाकुर और अन्य
प्लेटफार्म – सोनी लिव
रेटिंग – तीन
वेब सीरीज गर्मी
दो दशक पहले छात्र राजनीति पर आधारित फिल्म हासिल से इंडस्ट्री में अपनी शुरुआत करने वाले निर्देशक तिग्मांशु धूलिया दो दशक बाद छात्र राजनीति पर आधारित वेब सीरीज गर्मी को लेकर आए हैं. कांसेप्ट भले ही पुराना है, लेकिन इसका ट्रीटमेंट नया है और किरदारों का अंदाज भी. जो इस सीरीज को खास बनाता है.
छात्र संघ की राजनीति कहानी का है आधार
9 एपिसोड़ की सीरीज वाली इस कहानी का आधार उत्तर प्रदेश की काल्पनिक यूनिवर्सिटी त्रिवेणीपुर को बनाया गया है. यूनिवर्सिटी भले ही काल्पनिक है, लेकिन वहां की छात्र राजनीति असल जिंदगी से प्रेरित है. छात्र राजनीति को किस तरह से मुख्यधारा की राजनीति को प्रभावित करती है. यह भी सीरीज में बखूबी जोड़ा गया है. राजनीति के अलावा धर्म, जाति भी कहानी की अहम धुरी है. इन पहलुओं को अरविंद शुक्ला (व्योम यादव) के किरदार की जर्नी के साथ सीरीज में दिखाया गया है. जिसका सपना सिविल सर्विस की परीक्षा निकालना है, लेकिन हालात ऐसे बनते हैं कि उसे ना चाहते हुए छात्र राजनीति से जुड़ना पड़ता है और किस तरह से वह नयी चुनौतियों से जूझता है. यह इस सीरीज के पहले भाग की कहानी है.
Also Read: Exclusive: अपने किरदार पर काफी मेहनत करना पड़ा क्योंकि मैं उसके जैसा बिल्कुल नहीं हूं – व्योम यादव
ये है खास
सीरीज के कांसेप्ट की बात करें, तो इसमें नयापन भले नहीं है. ऐसे कांसेप्ट पर अब तक कई फ़िल्में और सीरीज बन चुकी हैं, लेकिन इस सीरीज की खासियत इसका ट्रीटमेंट है. किरदारों की जर्नी को जिस तरह से दिखाया गया है. वह दिलचस्प है. सीरीज का पूरा ट्रीटमेंट रियलिस्टिक है. भाषा से लेकर किरदारों और यूनिवर्सिटी की दुनिया उनसे जुड़ी टकराहट,द्वन्द, असुरक्षा, सपने सबकुछ हकीकत के करीब है. सीरीज का कैमरावर्क और एडिटिंग अच्छा है.
यहां रह गयी चूक
खामियों की बात करें,तो यह बात अखरती है कि कहानी की शुरुआत में अरविन्द शुक्ला का परिवार जिस तरह से उनके करीब दिखाया गया था. वह उनका साथ देने के लिए एक बार भी त्रिवेणीपुरम के उनके हॉस्टल क्यों नहीं आ पाता है. हमेशा वीडियो कॉल के जरिए ही एक दूसरे से बात होती थी. इसके अलावा सीरीज में अरविन्द शुक्ला के लिए प्यार के पक्ष को भी उस तरह से नहीं दिखाया गया है, जैसा कहानी में उसकी प्रेमिका की मौत उसके लिए मोटिवेशन बनती है. उस पक्ष को थोड़ा और मजबूती से उभारने की जरूरत थी. इसके अलावा सीरीज के शुरूआती एपिसोड कुछ धीमे हैं.
व्योम यादव का लाजवाब अभिनय
अभिनय की बात करें तो इस सीरीज की सबसे बड़ी खोज व्योम यादव करार दिए जा सकते हैं. अब तक छोटे -छोटे किरदारों में नजर आए व्योम इस सीरीज का चेहरा हैं. अरविन्द शुक्ला के किरदार को उन्होने बखूबी जिया हैं. किरदार की मासूमियत, तेवर, उसूलों को अपने अभिनय में प्रदर्शित करते हुए उन्होने ऐसी छाप छोड़ी है, जो आपको सीरीज से बांधे रखता है. विनीत कुमार ने बाबा वैरागी के किरदार में एक बार भी असरदार अभिनय किया है. जतिन गोस्वामी, पुनीत सिंह, अनुराग ठाकुर भी उम्दा रहे हैं. अनुष्का कौशिक,पंकज सारस्वत, दिशा ठाकुर,मुकेश तिवारी भी अपने -अपने किरदारों के साथ न्याय करते हैं.
देखें या ना देखें
यह सीरीज लाजबाब अभिनय, रियलिस्टिक ट्रीटमेंट की वजह से मनोरंजक बनी है. जो सभी द्वारा देखी जानी चाहिए.
Son Of Sardar 2 Movie Review:टुकड़ों में फिल्म एंटरटेन करती है
Dhadak 2 Movie Review :दिल को छू जाती है दलित संघर्ष पर बनी यह लव स्टोरी फिल्म
Sarzameen Movie Review:इस सरजमीन से दूर रहने में ही है फायदा..
Saiyaara Movie Review:इस इमोशनल प्रेम कहानी में म्यूजिक और कलाकारों का परफॉरमेंस है मैजिक