फ़िल्म- हाउसफुल 5
निर्माता- साजिद नाडियाडवाला
निर्देशक- तरुण मनसुखानी
कलाकार- अक्षय कुमार ,अभिषेक बच्चन,रितेश देशमुख जैकलीन,सोनम बाजवा,संजय दत्त, जैकी श्रॉफ, नाना पाटेकर, रंजीत, नरगिस फाखरी बॉबी और अन्य
प्लेटफार्म- सिनेमाघर
रेटिंग- एक
housefull 5 movie review :निर्माता साजिद नाडियाडवाला की हाउसफुल 5 आज सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. इस सीरीज की पहली फ़िल्म 15 साल पहले रिलीज हुई थी.इन पांच फ्रेंचाइजियों के बीच में सबसे लंबा गैप चौथी और पांचवी किस्त के बीच में आया है यानी आज रिलीज हुई फिल्म पर. यह गैप छह सालों का था इसका मतलब ये नहीं कि छह सालों से इस फिल्म पर काम किया जा रहा था. कम से कम फिल्म की पटकथा और स्तरहीन कॉमेडी देखकर तो यह बात दावे के साथ कही जा सकती है फिल्म को अलग बनाने के लिए मेकर्स ने दो अलग -अलग क्लाइमेक्स फिल्म के दो वर्जन के साथ रखे हैं. यह बात सुनने में दिलचस्प लग सकती है लेकिन आखिर में कातिल बदल जाने से दो घंटे 45 मिनट की यह फिल्म बोझिल से एंटरटेन बन जायेगी तो.ऐसा नहीं है.कम से कम हाउसफुल 5 ए को देखने के बाद ये बात दावे के साथ कही जा सकती है.
कातिल कौन वाली है कहानी
कहानी कहानी की बात करें तो जो ट्रेलर में मर्डर दिखाया गया है .उसी मर्डर से शुरुआत होती है .उसके बाद कहानी दो दिन पीछे चली जाती है . यूके के सातवें नंबर के अमीर बिजनेसमैन (रंजीत)ने अपने सौ साल पूरे होने पर एक बड़े से क्रूज में पार्टी दिया है .इससे पहले पार्टी शुरू हो पाती थी उनकी मौत हो जाती है और फिर उनकी वसीयत सामने आती है . जिसमें उसने अपनी पहली पत्नी के बेटे जॉली को अपनी सारी सम्पत्ति का वारिस घोषित किया है .जिसके बाद एक नहीं बल्कि तीन जॉली की एंट्री हो जाती है .अभिषेक बच्चन ,अक्षय कुमार और रितेश देशमुख जॉली के तौर पर आते हैं, लेकिन असली जॉली कौन है . सिर्फ़ पेंच यही अटका नहीं है बल्कि क्रूज पर एक के बाद एक तीन हत्याएं हो चुकी हैं .कातिल कौन है.. इसके लिए दो घंटे 45 मिनट की पूरी फिल्म को झेलनी होगी।आखिर में असली जॉली की भी एंट्री होती है.
फिल्म की खूबियां और खामियां
फिल्म में खूबियां ना के बराबर है.अगर आपको एक्टर्स की भीड़ पसंद है.जिन्हे एक्टिंग के नाम पर कुछ भी करने के लिए छोड़ दिया गया है तो यह फिर फिल्म आपको पसंद आ सकती है. इस बार कॉमेडी के साथ मर्डर का भी थ्रिल्स जोड़ने की कोशिश हुई है लेकिन कोशिश पूरी तरह से नाकामयाब रही है. ये फिल्म ना तो रोमांच को बढ़ाती है और ना ही हंसा पायी है. फिल्म की कहानी कुछ साल पहले आयी हॉलीवुड की फिल्म मर्डर मिस्ट्री से मेल खाती है.जो अब ओटीटी पर भी मौजूद है.कॉमेडी के नाम पर डबल मीनिंग डायलॉग भर भर के बोले गए हैं. कई बार ये भी सवाल आता है कि आखिर अक्षय कुमार ने ऐसे सीन्स को हां करने को कैसे कह दिया।लगभग तीन दर्जन कलाकारों के बीच में अभिनेत्रियों की भी अच्छी खासी तादाद है लेकिन सभी अभिनेत्रियों के लिए करने को कुछ ख़ास नहीं था. गानों में नाचने और अंग प्रदर्शन सभी के जिम्मे में बस यही आया है .सौंदर्य से जुड़े सीन्स हो या तीनों अभिनेत्रियों के डॉक्टर के लैब में जाने वाले दृश्य देखकर लगता है कि क्या मेकर्स ने यह फ़िल्म फ्रंट बेंचर्स को ध्यान में रखकर बनायी है. फिल्म का बजट ढाई सौ करोड़ के पार है तो जमकर भव्यता परोसी गयी है.अफ़सोस महंगे कपडे और महंगे सेट्स से फिल्म .एंटरटेनिंग नहीं बन जाती है.फिल्म गीत संगीत में औसत है.
अभिनय कम सरदर्द ज्यादा
अभिनय की बात करें तो सितारों की इस भीड है . बीस से ज़्यादा कलाकार हैं लेकिन कॉमेडी के मामले में अक्षय कुमार और रितेश देशमुख ने ही सही सुर पकड़ा है लेकिन उनके पास ना अच्छे दृश्य थे और ना ही संवाद जो वह कुछ खास कर पाते थे. .नाना पाटेकर की भी अच्छी कोशिश रही है. बाकी को करने को कुछ ज्यादा नहीं था.हाउसफुल की इस क़िस्त में जैकी श्रॉफ और संजय दत्त की एंट्री हुई है. उन्हें हाईलाइट भी किया गया था, लेकिन उनके बीच के दृश्य इतने कमजोर लिखे हुए हैं कि वह आपको हंसाते नहीं बल्कि चिढ़ाते हैं. जॉनी लीवर को भी वेस्ट किया गया है.फिल्म में श्रेयस को एक ही डायलॉग तीन बार बोलने को दिए गए हैं तो निकेतन धीर को एक भी संवाद नहीं मिल पाया है
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