फिल्म- सितारे जमीन पर
निर्माता- आमिर खान फिल्म्स प्रोडक्शन
निर्देशक- आर एस प्रसन्ना
कलाकार- आमिर ख़ान,जेनेलिया डिसूज़ा,डॉली अहलूवालिया,बृजेन्द्र कालरा,आरुष दत्ता, गोपी,नमन मिश्रा,वेदांत,ऋषि,ऋषभ,संवित,सिमरन,आयुष और अन्य
प्लेटफार्म- सिनेमाघर
रेटिंग- साढ़े तीन
sitaare zameen par movie review :आमिर खान उन चुनिंदा अभिनेताओं से से हैं, जिनकी फिल्मों से मनोरंजन के साथ -साथ मैसेज भी जुड़ा रहता है. 2007 में रिलीज हुई फिल्म तारे जमीन पर से उन्होंने डिस्लेक्सिया जैसे विषय को ना सिर्फ हर आम आदमी से जोड़ दिया था बल्कि इस फिल्म के बाद टीचर्स ने अपने स्टूडेंट्स और माता पिता ने अपने बच्चों को अधिक संवेदनशीलता के साथ समझना शुरू कर दिया था. आज रिलीज हुई सितारे जमीन उस फिल्म की स्पिरिचुअल सीक्वल कही जा रही है और इस फिल्म से आमिर एक कदम और आगे बढ़ गए हैं. इस बार वह ऑटिस्म और डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्तियों की कहानी लेकर आये हैं. बिना कोई इमोशनल भाषणबाजी इस बार भी वह अहम सीख दे गए हैं कि सबका अपना -अपना नार्मल होता है .जो दिल को छूने के साथ -साथ आंखों को कई मौकों पर नम भी कर गया है.
अपने से अलग हर किसी के साथ सेंसिटिविटी के साथ पेश आने की है कहानी
सितारे जमीन पर स्पेनिश फिल्म चैंपियन का हिंदी रीमेक है, जिसे भारतीय रंग में रंगकर दर्शकों को सामने लाया गया है.आमिर ने अपने इंटरव्यू में में यह बात कही थी कि स्पैनिश फिल्म होने की वजह से गिने -चुने लोगों ने इसी देखी थी. इतनी अच्छी कहानी सभी को देखनी चाहिए.जिस विषय पर यह फिल्म है. यह भारत के लिए भी जरूरी विषय है.इस पर सार्वजनिक चर्चा होनी चाहिए कि न्यूरो टाइपिकल क्या है और हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए. फिल्म देखने के बाद यह बात कही जा सकती है कि वाकई यह फिल्म जरुरी है.खैर कहानी पर आते हैं. गुलशन (आमिर खान ) एक घमंडी इंसान है. जो बास्केटबाल का अस्सिटेंट कोच है.एक मैच के दौरान वह गुस्से में आकर अपने सीनियर कोच पर हाथ उठा देता है, जिसके बाद वह सस्पेंड हो जाता है,लेकिन दिक्कत सिर्फ यही नहीं ख़त्म होती है. वह नशे में आकर पुलिस वैन को ना सिर्फ ठोक देता है बल्कि कांस्टेबल से भी हाथापाई करता है, जिसके बाद कोर्ट उसे कम्युनिटी सर्विस के तहत न्यूरो डाइवर्जेंट लोगों का बास्केटबॉल कोच नियुक्त करती है. वह इस सजा से बचकर निकलना चाहता है,लेकिन यह सजा किस तरह से गुलशन की सोच और व्यक्तित्व को बदल देता है. वे दस लोग जिन्हें दुनिया कमजोर मानती हैं. वे फिल्म के नायक हैं और वे गुलशन के ज़रिये समाज की सोच को भी बदलते हैं.यही फिल्म की कहानी है.
फिल्म की खूबियां और खामियां
इस विषय को हिंदी सिनेमा के मुख्यधारा में लाने के लिए इस फिल्म की पूरी टीम बधाई की पात्र है. यह एक ज़रूरी फिल्म है, जो सभी को देखनी चाहिए. चूंकि आबादी का एक बड़ा हिस्सा एक तरह से व्यवहार करता है इसलिए वही व्यवहार नार्मल है.ऐसा नहीं है. सभी का अपना -अपना नार्मल होता है. न्यूरो डाइवर्जेंट लोगों का अपना नार्मल हैं.अपने से अलग हर किसी के साथ सेंसिटिविटी के साथ पेश आने की यह फिल्म सशक्त तरीके से इस बात को रखती है.फिल्म का ट्रीटमेंट इसे खास बना देता है. फिल्म इमोशनल करती है, लेकिन सिम्पैथी कार्ड कहीं पर भी नहीं खेलती है.न्यूरो डाइवर्जेंट लोगों पर भाषणबाजी नहीं करती है. हल्के फुल्के पलों के साथ पूरी फिल्म को ट्रीट किया गया है,फिल्म के ट्रीटमेंट के साथ साथ फिल्म का संवाद इस फिल्म को और खास बना जाता है. सबका अपना -अपना नार्मल होता है.न्यूरो डाइवर्जेंट लोग अपने घर के वो बच्चे होते हैं, जो कभी बूढ़े नहीं होते हैं.ये संवाद दिल को छू जाते हैं.फिल्म की टीम की इसलिए भी तारीफ बनती है कि उन्होंने न्यूरो डाइवर्जेंट लोगों की कहानी को कहने के लिए कलाकारों के तौर पर भी उन्हें ही जोड़ा है. फिल्म में खामियां नहीं है , ऐसा नहीं है फिल्म का फर्स्ट हाफ स्लो है. कहानी सेकेंड हाफ से रफ़्तार पकड़ती है और उसके बाद हंसी ठहाके भी बढ़ जाते हैं. पानी से डरने वाले डॉली और बृजेन्द्र कालरा वाला सीन खास है. गीत संगीत की बात करें तो यह कहानी के साथ न्याय करते हैं , लेकिन तारे जमीन पर की तरह कोई यादगार ट्रैक इस बार नहीं बन पाया है.बाकी के पहलू कहानी और किरदार के अनुरूप हैं.
सितारों का जबरदस्त परफॉरमेंस
अभिनेता आमिर खान इस फिल्म में ग्रे शेड में हैं. इस तरह के किरदार में उन्हें परदे पर देखना दिलचस्प है. हमेशा की तरह उन्होंने एक बार फिर असरदार परफॉर्म किया हैडॉली अहलूवालिया और बृजेन्द्र कालरा ने सॉलिड परफॉरमेंस दी है तो गुरपाल सिंह और जेनेलिया डिसूजा ने भी अपनी छाप छोड़ी है लेकिन इस फिल्म के असल सितारे सुनील ( आशीष पेंड्से) हर गोविंद (नमन मिश्रा),गोलू (सिमरन),लोटस ( आयुष) शर्माजी ( ऋषि) बंटू ( वेदान्त) गुड्डू ( गोपी ) सतबीर ( आरुष) ,करीम (संवृत) और राजू (ऋषभ) हैं, जिन्होंने दिल को छू जाने वाला परफॉरमेंस दिया है. उनमें कुछ भी बनावटीपन नहीं है,जो है उन्होंने दिल से किया है.जो सीधे दिल से जुड़ जाता है.
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