Superboys Of Malegaon Review:सिनेमा से प्यार और दोस्ती के जज्बे की दिल छू लेने वाली है कहानी

28 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही फिल्म सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव देखने जाने का प्लान कर रहे हैं तो इससे पहले पढ़ लें यह रिव्यु

By Urmila Kori | February 27, 2025 7:05 AM
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फिल्म -सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव

निर्माता -एक्सेल फिल्म्स

निर्देशक – रीमा कागती

कलाकार – आदर्श गौरव ,विनीत सिंह,शशांक अरोरा, साकिब अयूब ,अनुज सिंह दुहन,मंजरी ,मुस्कान जाफरी और अन्य

प्लेटफार्म -सिनेमाघर

रेटिंग – तीन

superboys of malegaon review:सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव महाराष्ट्र के नजदीक बसे मालेगांव के उन युवाओं की असल कहानी हैं , जिन्होंने 90 के दशक में पैरोडी फिल्मों की ही सही मालेगांव में एक स्थानीय फिल्म इंडस्ट्री स्थापित कर दी थी.जिसकी चर्चा 2011 में विदेशों तक फैजा अहमद खान की डॉक्युमेंट्री से पहुंच गयी थी. मालेगांव के उन्ही युवाओं की प्रेरणादायी कहानी रीमा कागती की फिल्म सुपरबॉयज ऑफ़ मालेगांव है.जो उन सभी गुमनाम नायकों को सलाम करती है, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सपनों को ना सिर्फ जिंदा रखा बल्कि उसे पूरा भी किया है.

सपनों को पूरा करने की है कहानी

कहानी मालेगांव के नासिर (आदर्श गौरव) की है, जिसकी वीडियो पार्लर की एक छोटी सी दुकान है, जिसमें वह पायरेटेड फिल्में दिखाता है. लोगों की भीड़ बढ़ाने के लिए वह कई फिल्मों के फुटेज को जोड़कर दिखाना शुरू करता है,जिसे लोग बहुत पसंद भी करने लगते हैं ,लेकिन पुलिस पायरेसी के नाम पर वीडियो पार्लर में तोड़ फोड़ कर देती है. वह तय कर लेता है कि वह खुद फिल्म बनायेगा और उसे अपने वीडियो पार्लर में रिलीज करेगा. इसमें वह अपने जुगाड़ के साथ -साथ अपने दोस्तों को भी शामिल करता है , जो फिल्म निर्माण के अलग-अलग पहलुओं में उसकी मदद करते हैं. फरूख (विनीत सिंह) फिल्म के लेखन में उसकी मदद करता है. इरफान (साकिब अयूब) और अकरम (अनुज दुहान) उसकी फिल्म में एक्टिंग करते हैं. शफीक (शशांक अरोड़ा) कैमरे के पीछे के कामों में उसकी मदद करता है.वे मिलकर मालेगांव का शोले बनाते हैं और फिल्म चल पड़ती है,जिसके बाद नासिर बॉलीवुड की दूसरी सुपरहिट फिल्मों की पैरोडी बनाने की राह पर चल पड़ता है लेकिन कुछ गलतफहमियों की वजह से धीरे -धीरे दोस्त पीछे छूटते जाते हैं और कुछ सालों बाद फिल्ममेकिंग भी उससे छूट जाती है लेकिन फिर हालत ऐसे बनते हैं कि ये सभी दोस्त फिर से एक दूसरे से जुड़ते हैं और एक बार फिल्म मेकिंग से नासिर जुड़ता है.यह सब क्यों और कैसे होता है इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

फिल्म की खूबियां और खामियां

फिल्म की कहानी मालेगाव के असल लोगों की कहानी है. यही इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है. यह अंडरडॉग के अचीवर बनने की कहानी है.जो बाधाओं के आगे घुटने नहीं टेकते हैं बल्कि उसे चुनौती देते हैं. फिल्म सपनों की कहानी भर नहीं है बल्कि इंसानी जज्बात के सभी रंग इसमें हैं. प्यार ,दोस्ती ,गलतफहमी ,ईगो ,तकरार फिर जुड़ाव सबकुछ शामिल है,लेकिन ये सब बिना किसी मेलोड्रामा के बहुत ही सरल अंदाज में दिखाया गया है. जो दिल को सुकून देता है. फिल्म में मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री की कड़वी हकीकत को भी सामने लाया गया है.फिल्म को पूरा रीयलिस्टिक टच दिया गया है.फिल्म की सिनेमेटोग्राफी से लेकर कॉस्ट्यूम तक सभी में रीयलिस्टिक टच को बखूबी बरक़रार रखा गया है.फिल्म 90 के दशक से लेकर 2010 तक का सफर करती है. सिनेमा पर फिल्म है तो फिल्म के फ्रेम में बॉलीवुड के सलमान खान, मिथुन चक्रवती , यश चोपड़ा,राजेश खन्ना और शाहरुख़ खान का जिक्र तो हुआ ही है लेकिन हॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक बस्टर कीटन को फिल्म अपने अंदाज में श्रद्धांजलि देती है.गीत संगीत कहानी के साथ न्याय करता है. बन्दे गीत फिल्म के मूड को सेट करता है. फिल्म के संवाद उम्दा हैं.राइटर बाप होता है. याद रह जाता है.फिल्म की खामियों की बात करें तो सेकेंड हाफ थोड़ा स्लो रह गया है. फिल्म इमोशनल करती ह, लेकिन फिल्म देखते हुए यह भी महसूस होता है कि इमोशनल पहलु पर थोड़ा और काम किया जाना था.फिल्म बनाने के संघर्ष को डिटेल में दिखाए जाने की जरुरत थी।.उसे बस कुछ सीन्स में दिखा कर खत्म कर दिया गया था. नासिर ने फिल्म का मुनाफा दोस्तों में क्यों नहीं बांटा था. फिल्म इस सवाल का भी जवाब नहीं देती है.

कलाकारों का है उम्दा अभिनय

फिल्म की यूएसपी इसकी कास्टिंग है. फिल्म देखते हुए सभी एक्टर किरदार नजर आते हैं. आदर्श गौरव ने एक बार फिर यह बात साबित की है कि आखिरकार उनके दमदार अभिनय की ख्याति अंतरराष्ट्रीय स्तर तक क्यों है. नासिर के जिद,जुनून को उन्होंने बखूबी परदे पर निभाया है. विनीत कुमार सिंह ने एक अदीब के संघर्ष को छटपटाहट, झुंझलाहट के साथ -साथ एक रुआब के साथ भी जिया है.शशांक अरोरा ने भी दिल को छू जाने वाला परफॉरमेंस दिया है.साकिब ,अनुज, मंजरी और मुस्कान ने भी अपने हिस्से की भूमिका को बखूबी परदे पर उकेरा है.

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