Rajesh Tailang :एक्टर ने कहा अपनी मिडिल क्लास मेंटालिटी पर प्राउड है

राजेश तैलंग ने इस इंटरव्यू में अपनी आगामी वेब सीरीज बकैती के साथ निजी जिंदगी में अपनी मिडिल क्लास वाली आदतों पर भी बात की है

By Urmila Kori | July 31, 2025 8:50 AM
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rajesh tailang :ओटीटी प्लेटफॉर्म जी 5 पर आगामी एक अगस्त से वेब सीरीज बकैती दस्तक देने जा रही है. मिडिल क्लास परिवार की स्लाइस ऑफ लाइफ वाली कहानियों पर आधारित इस सीरीज में अभिनेता राजेश तैलंग अहम भूमिका में नजर आने वाले हैं. उनकी इस सीरीज,मेकिंग और दूसरे पहलुओं पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत 

वेब सीरीज बकैती में आपके लिए क्या अपीलिंग था ? 

बकैती में मेरे लिए सब कुछ अपीलिंग ही था. चाहे सीरीज की कहानी हो ,मेरा किरदार हो, को एक्टर्स हो या फिर सीरीज को बनाने वाली टीम. इस सीरीज से जुड़ी हर बात बहुत ही सकारात्मक थी. मुझे यकीन था कि यहां परफॉरमेंस के ग्रो करने की बहुत उपजाऊ जमीन साबित होगी.

मिडिल क्लास परिवार की स्लाइस ऑफ़ कहानियां ओटीटी की पसंद बन चुका है, इस सीरीज में क्या खास होगा ?

 स्लाइस ऑफ़ लाइफ कहानियों की खूबसूरती यही होती है कि वह छोटी-छोटी बातों में बड़ी-बड़ी बातें कह जाती है. छोटे-छोटे स्ट्रगल में कई  बड़े-बड़े फलसफे छुपे होते हैं. सीरीज के सिचुएशन से लेकर कैरेक्टर तक हर कोई रिलेट करेगा कि अरे ये तो मेरे पापा जैसा है.ये मेरे पड़ोस वाली आंटी .इस  सीरीज के किरदार, कहानी और सिचुएशन से मैं बहुत खुद रिलेट करता हूं क्योंकि मैं भी एक मिडिल का परिवार से आता हूं. मिडिल क्लास परिवार में अक्सर सारी ख्वाहिशें पूरी नहीं हो पाती हैं ,लेकिन उन सबके बावजूद अपने ख्वाबों को जिंदा रखते हुए आगे बढ़ते  जीते जाते हैं. मुझे लगता है कि जिंदगी की वही खूबसूरती है और इस सीरीज की भी 

रियल लाइफ में कभी बकैती की है ? 

अपने टीनएज में मैं बहुत ज्यादा बकैती करता था. मैंने बीएससी मैथमेटिक्स से किया है,तो एक जमाने में साइंटिस्ट बनना चाहता था. ब्लैक होल्स को लेकर खूब बकैती की है. गैलेक्सी को और टाइम मशीन को लेकर खूब बकैती करते थे. दुनिया बदल देने वाली बकैती मैंने  बहुत की है. 

सिनेमा को बदल दूंगा कभी यह भी सोचा था?

सिनेमा नहीं आर्ट के जरिए दुनिया बदल दूंगा यह सोचा था. सिनेमा ही करूंगा यह कभी नहीं सोचा था. हमने सोचा था आर्टिस्ट बनेंगे.थिएटर करेंगे. अभी भी मुझमें समाज को बदलने की बात आती है लेकिन उम्र हो चुकी है तो एक रियलिज्म का भी एहसास होता है. पता है कि दुनिया एक झटके से नहीं बदलेगी बल्कि बूंद बूंद से जैसे सागर बनता है वैसे बदलेगी

क्या आर्ट में समाज को बदलने की कूवत है ?

मुझे यह नहीं पता है कि आर्ट से समाज बदलेगा या नहीं लेकिन यह सोचने को मजबूर कर देगा। इसका मुझे भरोसा है.

सीरीज मिडिल क्लास पर है, निजी जिंदगी में आप अभी भी कितने मिडिल क्लास है ?

मैं खुद को पूरा मिडिल क्लास मानता हूं. हमारे सीरीज के ट्रेलर में भी मिडिल क्लासियत शब्द इस्तेमाल हुआ है और मैं कहूंगा कि मेरे अंदर मिडिल क्लासियत कूट-कूट कर भरी है. मैं खुद मिडिल क्लास परिवार से हूं. मिडिल क्लास मेंटालिटी होती है, जो कभी नहीं जाती है. वह है मेरे अंदर अब भी है.मुझे इस पर प्राउड है और मैं उनको बदलना भी नहीं चाहता हूं

कोई एक आदत जो आप दर्शकों के साथ शेयर कर सके?

 मुझे फालतू का सामान इकट्ठा करने की बहुत आदत है. कोई डिब्बा सोच कर रख लेता हूं कभी काम आ जाएगा.कोई  मशीन ठीक हो रही है, उसके अंदर से फालतू पार्ट निकला तो उसको भी रख लेता हूं. यह सोचकर कि शायद कभी काम आ जाएगा,जबकि पता है कि जिंदगी में कभी यह काम नहीं आएगा लेकिन दिल कहता है कि रख लो,तो मैं रख लेता हूं.

इस सीरीज में एक बार फिर आपकी और शीबा चड्ढा की जोड़ी बनी है ? 

शीबा के साथ काम करने का मौका मिलता है तो  बड़ी खुशी होती है क्योंकि मेरा भी परफॉरमेंस अच्छा हो जाता है. आप जब ऐसे कलाकार के साथ हो,जो अच्छा भी और आपके साथ उसका एक कम्फर्ट भी है तो स्क्रीन पर सबकुछ और बेहतर हो जाता है.

इनदिनों इंडस्ट्री में काम करने के घंटों पर काफी बहस हो रही है,आपकी क्या राय है ? 

मैं कई दफा यह बात बोल चुका हूं. बिल्कुल शुरुआत में जब मैंने मुंबई में काम शुरू किया था. मैं 90 के दशक की बात कर रहा हूं .उस वक्त यहां पर 8 घंटे की शिफ्ट होती थी. जो अभी 12 घंटे की शिफ्ट में बदल गई है. वह मुझे थोड़ा ज्यादा लगता है इसलिए नहीं कि मैं मेहनत नहीं करना चाहता हूं. इसलिए कि उसमें बेस्ट क्रिएटिव इनपुट देना सभी लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है. 12 घंटे की शिफ्ट में आपको 1 घंटे पहले आना है. सेट से निकलते निकलते भी एक घंटा चला जाता है . घर पहुंचने और निकलने में भी एक घंटा जोड़ ले तो कुल मिलाकर 16 घंटे. अब आपके पास आठ घंटे बचते हैं.जिसमें खाना ,सोना और अगले दिन के डायलॉग भी याद करने हैं. बेस्ट क्रिएटिव देने के लिए आपको रेस्ट करने की भी जरूरत होती है क्योंकि हम मशीन नहीं आर्टिस्ट है.

क्या निर्देशन की भी प्लानिंग है ?

मैंने पच्चीस साल पहले इंडियाज मोस्ट वांटेड शो का निर्देशन किया था. कई सारी डॉक्यूमेंट्री और शार्ट फिल्में बनाई हैं. उस वक़्त एक्टिंग में काम नहीं मिल रहा था, तो यह सब किया करता था. मैं सबसे ज्यादा एक्टिंग को ही एन्जॉय करता हूं. अभी लगातार अच्छा काम मिल रहा है तो एक्टिंग ही फोकस होगा.

आनेवाले प्रोजेक्ट्स 

मिर्जापुर फिल्म की जल्द ही शूटिंग शुरू होने वाली है. मिर्जापुर के डायरेक्टर के साथ एक और सीरीज है. दिल्ली क्राइम का अगला सीजन है.

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