Hydronephrosis: गर्भावस्था में भ्रूण की किडनी में सूजन? जानें कारण, लक्षण और इलाज

Hydronephrosis: गर्भस्थ शिशु के लिए ऐसी ही एक स्थिति है भ्रूण के एक या दोनों गुर्दों में पेशाब जमा होने के कारण सूजन आना. इसे मेडिकल साइंस की भाषा में एंटीनेटल हाइड्रोनफ्रोसिस कहते हैं.

By Saurabh Poddar | May 2, 2025 1:58 PM
an image

Hydronephrosis: मां बनना एक स्त्री के जीवन का सबसे सुखद पल होता है. गर्भ ठहरने से लेकर बच्चे के जन्म तक एक स्त्री अपने शिशु को महसूस करती है और उसके लिए गर्भावस्था एक सुखद और उत्साह से भरा समय होता है. लेकिन कभी गर्भावस्था का यह समय चिंता का कारण भी बन जाता है. ऐसा तब होता है जब गर्भ में पल रहा भ्रूण किसी बीमारी का शिकार हो या उसमें किसी बीमारी के लक्षण दिख रहे हों.

देखभाल और इलाज से बदल सकती है स्थिति

गर्भस्थ शिशु के लिए ऐसी ही एक स्थिति है भ्रूण के एक या दोनों गुर्दों में पेशाब जमा होने के कारण सूजन आना. इसे मेडिकल साइंस की भाषा में एंटीनेटल हाइड्रोनफ्रोसिस कहते हैं. जब गर्भस्थ शिशु की इस समस्या के बारे में उसकी मां या उसके परिवारवालों को पता चलता है, तो उनकी परेशानी बढ़ना स्वाभाविक है. गर्भ में भ्रूण अगर किसी बीमारी से ग्रस्त हो तो उसके परिवार वाले चिंतित होंगे ही, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सही देखभाल और इलाज से इस स्थिति को बदला जा सकता है.

ये भी पढ़ें: Health Tips: आधे से ज्यादा लोग नहीं जानते नींबू पानी पीने का सही समय, क्या आपको है पता?

ये भी पढ़ें: Summer Tips: गर्मयों में अब नहीं रहेगा लू लगने का खतरा, शरीर को ठंडा रखने के लिए डायट में शामिल करें ये चीजें

स्थिति बहुत असामान्य नहीं

मेदांता-द मेडिसिटी (गुरुग्राम) के डॉ संदीप कुमार सिन्हा (निदेशक, पीडियाट्रिक सर्जरी व पीडियाट्रिक यूरोलॉजी) बताते हैं कि यह स्थिति बहुत असामान्य नहीं है. आज के समय में हर 100 गर्भधारण में से 1-2 में यह मामले देखने को मिल रहे हैं. पहले भी इस तरह की स्थिति रहती थी, लेकिन भ्रूण का स्कैन कम होने की वजह से इसकी जानकारी कम मिल पाती थी. आज के समय में गर्भवास्था के दौरान स्कैन ज्यादा किए जा रहे हैं, जिसकी वजह से मामलों की अधिक जानकारी मिल रही है.

बच्चे का गुर्दा पूरी तरह से हो सकता है ठीक

डॉ. सिन्हा बताते हैं कि यदि जन्म के पहले 5-6 महीनों में उचित चिकित्सा की जाए तो बच्चे का गुर्दा पूरी तरह से ठीक हो सकता है. भ्रूण में एंटीनेटल हाइड्रोनफ्रोसिस की स्थिति का पता आमतौर पर गर्भावस्था की दूसरी या तीसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड स्कैन के दौरान चल जाता है. इसकी वजह पेशाब की नली में आंशिक रुकावट या पेशाब का उल्टा बहाव हो सकता है. कई बार यह समस्या जन्म से पहले या बाद में खुद ही ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ मामलों में इलाज जरूरी होता है, अन्यथा किडनी डैमेज हो सकता है. जिन मामलों में समस्या कम होती है उनमें प्रसवपूर्व हाइड्रोनफ्रोसिस इलाज के बिना ही ठीक हो जाता है. मध्यम से गंभीर मामलों के लिए ब्लाकेज की गंभीरता को समझने के लिए जन्म के बाद बच्चे के अल्ट्रासाउंड, वॉयडिंग सिस्टोयूरेथ्रोग्राम या न्यूक्लियर मेडिसिन स्कैन जैसे अतिरिक्त परीक्षण करवाने की आवश्यकता हो सकती है. अति गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत होती है.

ये भी पढ़ें: Health Tips: गर्मियों में इन मसालों का सेवन आपके सेहत के लिए हो सकता है हानिकारक, जितना हो कम करें सेवन

डॉक्टर्स के साथ मिलकर करें काम

चिकित्सा विशेषज्ञ गर्भवती माता और बच्चे को सलाह देते हैं कि वे स्थिति की निगरानी करते रहें और डॉक्टर्स के साथ मिलकर काम करें. माता-पिता को नवजात शिशुओं में पेशाब करने में कठिनाई, बुखार या लगातार किडनी संक्रमण जैसे लक्षणों के बारे में भी पता होना चाहिए, ताकि वे इलाज की जरूरत को समझें और समय पर अपने चिकित्सकों से संपर्क करें।प्रसवपूर्व हाइड्रोनफ्रोसिस कई बार गर्भस्थ शिशु के माता-पिता को तनाव में ले जाता है जिसकी वजह से वे कई बार जरूरी और समय पर चिकित्सा उपलब्ध नहीं करा पाते हैं. इसलिए यह जरूरी है कि तत्काल चिकित्सा चिंताओं से परे होकर स्थिति और उसके निदान को समझें, ताकि भ्रूण को सही और समुचित इलाज मिल सके. अध्ययनों से पता चला है कि प्रसवपूर्व निगरानी तकनीक के साथ-साथ प्रसव के बाद बच्चे को उचित इलाज उपलब्ध कराने से इस समस्या का समाधान संभव है. बाल चिकित्सा और नेफ्रोलॉजी के क्षेत्र में जो नए आविष्कार और प्रयोग हो रहे हैं वे बच्चे के जीवन को सहज और सामान्य बना देते हैं. डॉ. सिन्हा ने बताया कि गर्भावस्था में उन्नत इमेजिंग और पीडियाट्रिक यूरोलॉजी में प्रगति ने इस स्थिति के निदान और प्रबंधन की क्षमता को काफी बेहतर बनाया है.

माता-पिता मानसिक रूप से रहें तैयार

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि माता-पिता डॉक्टर से नियमित संपर्क में रहें और बच्चे में पेशाब में कठिनाई, बुखार या बार-बार होने वाले संक्रमण जैसे लक्षणों पर ध्यान दें. यह स्थिति परिवार के लिए परेशान करने वाली हो सकती है लेकिन बच्चे को एक सामान्य और स्वस्थ जीवन देने के लिए इसका इलाज कराना बहुत जरूरी है, इसलिए घबराहट को मिटाकर माता-पिता मानसिक रूप से तैयार रहें.

निदान और देखभाल से अच्छे परिणाम संभव

एम्स-दिल्ली के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ प्रबुद्ध गोयल के अनुसार, यह स्थिति पहले तिमाही में भी अल्ट्रासाउंड द्वारा पहचानी जा सकती. हालांकि, उस दौरान में भी एम्नियोटिक फ्लुइड सामान्य रहता है. यह आमतौर पर डिलीवरी के समय, स्थान या तरीके को प्रभावित नहीं करता. उन्होंने कहा, अधिकांश शिशु सही देखभाल से सामान्य किडनी फंक्शन के साथ बड़े होते हैं. जिन बच्चों में गंभीर रुकावट होती है, उनकी किडनी के जरिए नुकसान से बचाया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस स्थिति के प्रति जागरूकता फैलाकर हम माता-पिता को यह भरोसा देना चाहते हैं कि समय पर निदान और देखभाल से अच्छे परिणाम संभव हैं.

ये भी पढ़ें: Health Alert: ये 5 चीजें हैं लिवर के लिए जहर, लगातार सेवन से बिगड़ सकती है सेहत

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version