जरा सोचिए कि आप कोई बात किसी व्यक्ति को कहने के लिए मन में सोचें और आपके सोचने भर से वो बात उस व्यक्ति तक पहुंच जाए तो आप इसे क्या कहेंगे? यह है टेलीपैथी. जिसके द्वारा आपने वाले दिनों में आप मन ही मन में लोगों से बातें किया करेंगे.
कुछ भी बोलने से पहले दिमाग में कुछ तरंगें बनती हैं. जापानी वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने इसे डी-कोड करना जान लिया है और उनके परिणाम 90% तक सफल हैं.
अभी उनका यह प्रयोग सिर्फ जापानी भाषा तक ही सीमित है. लेकिन आश्चर्य नहीं कि इस टेक्नोलॉजी का उपयोग दूसरी भाषाओं में भी संभव होने लगेगा.
ब्रेन कंप्यूटर विशेषज्ञ प्रो. यामाजाकी तोषिमासा के नेतृत्व में एक टीम ने इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना और संचार इंजीनियर इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित वर्कशॉप में इसका लाइव प्रदर्शन भी किया.
उन्होंने बताया कि बोले जाने से दो सेकेंड पहले उनकी मशीन उस बात को समझ लेती है कि क्या बोले जाना है. यह टीम दिमाग के एक खास हिस्से की गतिविधियों पर काम कर रही है जिसे चिकित्सा विज्ञान की भाषा में ब्रोका कहते हैं. यह हिस्सा भाषा प्रक्रिया और बोलने से संबंधित है.
हो सकता है कि आप सोचें कि संचार क्रांति के युग में इस तरह की खोज का कितना उपयोग होगा. दरअसल, इसका कई क्षेत्रों में उपयोग संभव होगा. रोबोट को संदेश देने और अंतरिक्ष यात्री या गहरे समुद्र में काम करने वाले लोगों से बातचीत करने में इससे सुविधा होगी. वैसे लोगों से संवाद भी संभव हो जो किसी कारणवश बोल नहीं पा रहे हों.
इस तरह का प्रयोग चीन में भी हो रहा है. वहां एक सैन्य अकादमी में विद्यार्थियों को ऐसे हेडसेट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जो पहनने वाले व्यक्ति के दिमाग में चल रही बातों को समझ लेता है. यहां इसके जरिये रोबोट को संदेश देने की ट्रेनिंग दी जा रही है. अभी इस हेडसेट को भी पूरी तरह विकसित नहीं किया जा सका है और इस पर प्रयोग जारी है.
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