विदेशी छात्रों अब विदेशों में दे सकेंगे परीक्षा, एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करेगी आईआईटी

प्रतिष्ठित आईआईटी संस्थान ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा आकर्षित करने की कोशिश में अपने अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में विदेशी छात्रों का चुनाव करने के लिए अगले साल से सिंगापुर, यूएई, इथियोपिया और दक्षेस देशों में प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की पहली बार योजना बना रही है.... हाल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विदेश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 22, 2016 7:06 PM
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प्रतिष्ठित आईआईटी संस्थान ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा आकर्षित करने की कोशिश में अपने अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में विदेशी छात्रों का चुनाव करने के लिए अगले साल से सिंगापुर, यूएई, इथियोपिया और दक्षेस देशों में प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की पहली बार योजना बना रही है.

हाल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका (सभी दक्षेस के सदस्य राष्ट्र) के अलावा इथियोपिया (अफ्रीका), सिंगापुर और दुबई (यूएई) सहित आठ देशों में अगले साल से विदेशी नागरिकों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का लक्ष्य रखा गया है.

अभी तक होती थी सिर्फ भारतीयों के लिए परीक्षा

मानव संसधान मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आईआईटी संस्थान विदेशों में अब तक जो प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करते हैं वे सिर्फ भारतीय नागरिकों के लिए ही होती हैं. यह पहली बार है, जब विदेश में परीक्षा आयोजित कर विदेशी छात्रों को लेने की योजना है. लक्ष्य यह है कि 2017 में जेईई-जीएटीई परीक्षाएं आयोजित करके योजना को अमली जामा पहनाया जाएगा.

छात्रों का चुनाव सामान्य प्रवेश परीक्षा के माध्यम से किया जाएगा जिनका प्रबंधन आईआईटी द्वारा उन देशों में मौजूद भारतीय मिशनों के सहयोग से किया जाएगा.

इससे नहीं होगी भारतीय छात्रों को मिलने वाली सीटों में कटौती

अधिकारियों ने कहा कि विदेशी छात्रों को सामान्य से अतिरिक्त सीटें दी जाएंगी और 18 आईआईटी में भारतीय छात्रों को मिलने वाली सीटों को घटाया नहीं जाएगा. विदेशी छात्रों पर ज्यादा शुल्क लागू किया जाएगा क्योंकि भारतीय जिस शुल्क का भुगतान करते हैं वो सब्सिडी वाला होता है जो उन पर लागू नहीं होगा.

इन विदेशी छात्रों को सुविधा देने के लिए, विदेश मंत्रालय कार्यक्रम के दौरान उन्हें शोध वीजा देने पर विचार करेगा न कि एक ही समय पर एक साल का वीजा देगा.

यह समझा जाता है कि सरकार आईआईटी में ज्यादा विदेशी छात्रों को पढ़ाने के लिए उत्सुक है ताकि अपनी अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक रैंकिंग को बढ़ाया जा सके.

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