Bhagavad Gita Gyan : श्री कृष्ण की ये वाणी जो कड़वी पर है सच, कीजिए घोर
Bhagavad Gita Gyan : ये कोट्स जीवन के सही मार्ग पर चलने और परम सत्य को जानने के लिए श्री कृष्ण के उपदेशों का पालन करने की प्रेरणा देते हैं.
By Ashi Goyal | March 28, 2025 7:27 PM
Bhagavad Gita Gyan : भगवद गीता हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जीवन, धर्म और कर्म के बारे में गहरे उपदेश दिए। इस ग्रंथ में श्री कृष्ण ने सत्य, धर्म और आत्मा की शुद्धता को समझाया और व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा दी। गीता के उपदेश जीवन की कठिनाइयों को समझने और उनसे निपटने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यह ग्रंथ आज भी लाखों लोगों के लिए मार्गदर्शक बना हुआ है :-
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” – आप केवल कर्म करने के अधिकारी हैं, उसके फल पर नहीं.
“योगस्थ: कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय” – जो व्यक्ति योग में स्थिर है, वह अपने कार्यों को बिना किसी लालच के करता है.
“मायि सर्वमिदं प्रवृत्तं सूक्ष्मं रजस तामस:” – श्री कृष्ण ने कहा कि सारा विश्व मेरी शक्ति से व्याप्त है.
“न हि देहभृता शक्यं त्यक्तुं कर्माण्यशेषतः” – बिना कर्म किए कोई भी व्यक्ति अपने शरीर को त्याग नहीं सकता.
“वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानी गृह्णाति नरोऽपराणि” – जैसे पुरानी वासना को छोड़कर व्यक्ति नया वस्त्र धारण करता है, वैसे ही आत्मा भी शरीर छोड़ देती है.
“शरीरवाङ्मनोभिर्यत्कर्म प्रारभते नर:” – जो कर्म शरीर, वाणी और मन से किए जाते हैं, वे ही व्यक्ति के जीवन का रूप निर्धारित करते हैं.
“सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज” – सभी प्रकार के धर्मों को छोड़कर श्री कृष्ण की शरण में आओ.
“चित्तव्रित्तिनिरोध: योग:” – योग का वास्तविक अर्थ चित्त की वृत्तियों का निरोध करना है.
“जो कुछ भी होता है, वह मेरी इच्छा से होता है” – श्री कृष्ण के अनुसार, हर घटना और कर्म उनके नियंत्रण में है.
“समोऽहम सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रिय:” – मैं सभी प्राणियों में समान हूं, न मुझे किसी से द्वेष है और न किसी से प्रेम.