– “तुम्हारा कर्तव्य है कर्म करना, फल की चिंता मत करो”
इस श्लोक से बच्चों को यह सिखाया जाता है कि उन्हें सिर्फ अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए.
– “जो कार्य करने से डरते हैं, वे कभी सफलता प्राप्त नहीं कर सकते”
यह उद्धरण बच्चों को डर से बाहर निकलने और अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा देता है.
– “अपने मन को नियंत्रण में रखो, वही सच्ची शक्ति है”
यहां बच्चों को यह सिखाया जाता है कि आत्म-नियंत्रण से वे किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते है.
– “जो जीवन में कठिनाइयों से नहीं घबराता, वह सच्चा वीर है”
यह उद्धरण बच्चों को यह सिखाता है कि समस्याएं आती हैं, लेकिन उनका सामना बहादुरी से करना चाहिए.
– “अपने कार्यों में भक्ति और समर्पण रखो, सफलता निश्चित है”
यह श्लोक बच्चों को मेहनत और समर्पण से काम करने की प्रेरणा देता है.
– “जो दूसरों को मदद करता है, वही सबसे सच्चा और महान होता है”
यह बच्चों को परोपकार और मदद की भावना को महत्व देने की प्रेरणा देता है.
– “यदि तुम अपने कर्मों में समर्पण और ईमानदारी रखोगे, तो कोई भी कार्य कठिन नहीं रहेगा”
बच्चों को यह सिखाता है कि कर्मों में ईमानदारी से काम करने पर सफलता प्राप्त होती है.
– “तुम अपने जीवन के निर्माता हो, अपने निर्णयों से”
यह श्लोक बच्चों को आत्मनिर्भर और जिम्मेदार बनने की प्रेरणा देता है.
– “निराशा को छोड़कर आत्मविश्वास को अपनाओ, तुम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हो”
यह उद्धरण बच्चों को आत्मविश्वास और आशा के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है.
– “अपने आत्मा की आवाज़ को सुनो, यही तुम्हें सही मार्ग दिखाएगी”
यह श्लोक बच्चों को आत्मविश्लेषण और अपनी अंतरात्मा के मार्गदर्शन का महत्व सिखाता है.
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इन गीता के श्लोकों को बच्चों को सिखाकर उन्हें जीवन में सही दिशा और प्रेरणा दी जा सकती है.