सनातन धर्म ही एक ऐसा है जो पेड़ पर्वत सांप बिच्छू पर्यावरण पत्थरों तक को पूछता है यहां तक की प्राण को हरने वाले यमराज यमदेव को भी पूजने का उन्हें सम्मान प्रकट करने की परंपरा है.
इस साल भाई दूज का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है. भाई दूज और यम द्वितीया का पर्व 15 नवंबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा.
द्वितीया तिथि 14 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से प्रारंभ होगी और 15 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी, इस साल भाई दूज 15 नवंबर 2023 को उदया तिथि में ही मनाया जाएगा.
भाई दूज के पीछे की कथा
सूर्य देव की दो संताने पुत्री यमुना और पुत्र यमराज किसी अन्य कथा के अनुसार यमुना गोलोक में और यमराज यमलोक में इनका निवास स्थान रहा, दोनों भाई बहनों में अत्यंत प्रेम था अलग-अलग रहने के कारण मन व्याख्यित भी था.
एक बार यमुना अपने प्रिय भाई यमराज को बहुत ही मिलने की इच्छा से स्मरण करने लगी और भाई को सूचित किया कि वह मेरे घर आए और भोजन करें हुआ भी ऐसा ही, यमदेव ने सोचा हम तो लोगों का प्राण हरने वाले हैं मुझे तो कोई नहीं स्मरण करेगा ना ही कोई अपने घर बुलाएगा किंतु बहन ने बुलाया है तो मुझे जरूर जाना चाहिए और यमदेव यमुना के घर गए.
जिस दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे वह दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी, तब से आज भी यह परंपरा चली की कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय के दिन भाई अपने बहन के घर जाकर भोजन ग्रहण करते हैं.
बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती है. भाई के जीवन में उन्नति हो ऐसा भगवान से वरदान मांगती है.
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