हर किसी से जल्दी दोस्ती न करें
चाणक्य नीति के अनुसार हर किसी से तुरंत दोस्ती करना समझदारी नहीं है. व्यक्ति के स्वभाव, आदतें और व्यवहार को परखने के बाद ही उससे दोस्ती करनी चाहिए. जल्दबाजी में की गई दोस्ती अक्सर हानिकारक हो सकती है क्योंकि सामने वाला व्यक्ति आपके भरोसे का गलत फायदा उठा सकता है.
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रिश्तों में दूरी और बैलेंस जरूरी
आचार्य चाणक्य का मानना है कि रिश्तों में जरूरत से ज्यादा नजदीकी समस्याएं पैदा कर सकती है. जरूरत से ज्यादा करीबी कई बार मतभेदों का कारण बनती है. इसलिए रिश्तों में सम्मान और एक हेल्दी डिस्टेंस बनाए रखना जरूरी है ताकि आपसी अंडरस्टैंडिंग बनी रहे और रिश्ते लंबे समय तक टिके.
अपनी कमजोरी किसी को न बताएं
चाणक्य नीति के अनुसार, अपनी कमजोरी या पर्सनल बातें कभी भी किसी को नहीं बतानी चाहिए, चाहे वह आपका सबसे करीबी दोस्त ही क्यों न हो. समय के साथ परिस्थितियां बदल सकती हैं और आपकी बताई हुई कमजोरी आपके खिलाफ इस्तेमाल की जा सकती है.
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स्वार्थी और कपटी लोगों से दूरी
चाणक्य ने साफ शब्दों में कहा है कि जो लोग केवल अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते निभाते हैं, उनसे दूरी बनाना ही समझदारी है. ऐसे लोग हालात बदलते ही आपका साथ छोड़ सकते हैं और आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं. इस तरह के लोगों से दोस्ती और नजदीकी से बचना ही बेहतर होता है.
रिश्तों में अंधा विश्वास न रखें
आचार्य चाणक्य के अनुसार कई लोग रिश्तों को निभाने के लिए गलतियों को बार-बार नजरअंदाज करते रहते हैं. चाणक्य का कहना है कि रिश्तों में बार-बार धोखा खाने पर भी अंधा विश्वास रखना सही नहीं है. ऐसे रिश्तों को समय रहते खत्म करना ही अच्छा होता है ताकि आगे बड़ा नुकसान होने से बचा जा सके.
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