बिना लक्ष्य के श्रम, सिर्फ थकान देता है
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर आपके पास स्पष्ट लक्ष्य नहीं है, तो आपकी मेहनत बिखर जाएगी. करियर में कई बार लोग सिर्फ इसलिए मेहनत करते हैं क्योंकि उन्हें “कुछ करना है”, लेकिन क्या करना है, क्यों करना है और कब तक करना है. इसका स्पष्ट रोडमैप नहीं बनाते. अगर आप एक ही जॉब प्रोफाइल में बार-बार फेल हो रहे हैं, तो आपको रूक कर जरूर सोचना चाहिए कि क्या यही आप उसी क्षेत्र के बने हैं या आपकी मंजिल कुछ और है?
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समय गंवाने वाला, जीवन गंवाता है
चाणक्य नीति कहती है कि समय ही सबसे बड़ी संपत्ति है. जो लोग करियर में सही समय पर सही निर्णय नहीं लेते, वो मौका चूक जाते हैं. कई बार हम किसी असफल कोशिश के बाद खुद को 6 महीने, 1 साल तक स्थिर कर देते हैं. हम सोचते बहुत हैं, लेकिन करते कुछ नहीं. करियर में यही चीज इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है. इसलिए असफलता के बाद ब्रेक लें, लेकिन उस वक्त ठोस रणनीति बनाने के साथ साथ कोई एक्सट्रा स्किल्स सीखनी चाहिए.
संकट से घबराने वाला कभी विजेता नहीं बनता
चाणक्य कहते हैं कि संकटों में जो धैर्य रखता है, वही आगे बढ़ता है. करियर में फेल होना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन उसके बाद खुद पर संदेह करना, आत्मविश्वास खो देना और दूसरों से तुलना करने लगना सबसे बड़ी भूल होती है. फेल होना गलती नहीं है, लेकिन एक फेल्योर के कारण हार मान लेना सबसे बड़ी हार है. हर असफलता एक नई रणनीति मांगती है. इसलिए खुद को दोष देने के बजाय विश्लेषण करना चाहिए कि कहां कमी रह गई है?
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