जब आत्मसम्मान आहत हो
चाणक्य ने हमेशा से आत्मसम्मान पर जोर दिया. नौकरी छोड़ने के मामले में वे कहते हैं कि अपमानित जीवन जीने से त्याग करना ज्यादा अच्छा है.” यदि कार्यस्थल पर आपका आत्मसम्मान बार-बार आहत हो रहा है और आपके काम को उचित मान्यता नहीं मिल रही है, तो यह संकेत है बदलाव का.
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जहां ज्ञान और योग्यता का सम्मान न हो
यदि आपकी स्किल्स और मेहनत को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है और आपका विकास रुक गया है, तो चाणक्य के अनुसार ऐसे स्थान को छोड़ देना ही उचित है. उनका मानना था कि जहां विद्या, धन और आदर न मिले, वहां नहीं रुकना चाहिए.
जब निर्णय लेने की स्वतंत्रता न हो
चाणक्य प्रशासन और रणनीति के बड़े समर्थक थे. अगर किसी नौकरी में आपको अपना विवेक और निर्णय क्षमता इस्तेमाल करने का अवसर नहीं मिल रहा, तो वह आपके मानसिक और व्यावसायिक विकास में बाधा बन सकती है
आर्थिक अस्थिरता और असंतोष
चाणक्य कहते हैं “धन ही जीवन का आधार है.” यदि आपकी आय आपके जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पा रही, तो ऐसे में नई राह चुनना ही समझदारी है.
नौकरी छोड़ने से पहले जरूर सोचे यह बात?
- नौकरी छोड़ने से पहले अपनी आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन जरूर कर लेना चाहिए
- नई नौकरी का विकल्प है या नहीं
- आपकी स्किल्स डिमांड के आधार पर है या नहीं
- आत्ममंथन करें – हमेशा नौकरी छोड़ने से पहले यह जरूर सोचें कि क्या आपका यह फैसला पलायन है या प्रगति?
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