चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय में एक श्लोक है, जिसमें चाणक्य कुछ लोगों से मित्रता करने से करते हैं. वे कहते हैं कि इन स्वभाव के लोगों से मित्रता करने वाला इंसान बहुत जल्द बर्बाद हो जाता है. आइए जानते हैं कि वह श्लोक क्या है?
दुराचारी च दुर्दृष्टिर्दुराऽऽवासी च दुर्जनः।
यन्मैत्री क्रियते पुम्भिर्नरः शीघ्र विनश्यति।।
इस श्लोक का अर्थ है कि बुरे चरित्र वाले, अकारण दूसरों को हानि पहुंचाने वाले और गंदे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के साथ जो व्यक्ति दोस्ती करता है, वह जल्दी ही नष्ट हो जाता है.
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पाप का भागी बनेगा व्यक्ति
चाणक्य नीति के मुताबिक, जिस व्यक्ति का आचरण या चरित्र गंदा होता है, उसे दोस्ती नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये लोग अपनी चरित्र के कारण सम्मान के पात्र नहीं होता है. यही वजह है कि इन लोगों के साथ रहने वाला इंसान भी पाप का भागी बनता है.
जीवन हो जाएगा बर्बाद
इस श्लोक के माध्यम से चाणक्य का कहना है कि जो व्यक्ति बिना वजह के ही निर्धनों, असहाय और गरीब लोगों को नुकसान पहुंचाता है, वह कभी खुश नहीं रह पाता है. उसका जीवन बर्बाद हो जाता है. ऐसे में इस स्वभाव वाले इंसान के साथ रहने से व्यक्ति का भी नुकसान के सिवाय कुछ फायदा नहीं होता है.
नरक हो जाएगी जिंदगी
चाणक्य नीति के अनुसार, गंदे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति से भूलकर भी दोस्ती नहीं करनी चाहिए. जो व्यक्ति ऐसे व्यक्तियों से दोस्ती रहता है, वह नरक भोगता है, क्योंकि गंदे स्थान पर रहने से उस व्यक्ति को कई तरह की बीमारी होने की संभावना रहती है, जिसकी वजह से उस व्यक्ति से दोस्ती करने वाला इंसान भी प्रभावित हो सकता है.
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