Chanakya Niti: जीवन में क्या त्याग करना चाहिए? चाणक्य नीति में है इस बात का जवाब
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की बुद्धि और विद्वता के बारे में लोग आज भी चर्चा करते हैं. आचार्य चाणक्य की पकड़ राजनीति के साथ अन्य विषयों के ऊपर भी थी. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में त्याग के महत्व को बताया है. जीवन में कुछ चीजों का त्याग कर देना अच्छा होता है.
By Sweta Vaidya | April 29, 2025 8:26 AM
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य एक कुशल रणनीतिकार और राजनयिक थे. आचार्य चाणक्य की बुद्धि और विद्वता की चर्चा आज भी लोग करते हैं. अपनी बुद्धिमानी से ही आचार्य चाणक्य ने शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना करने में अहम भूमिका निभाई थी. आचार्य चाणक्य की पकड़ राजनीति के साथ अन्य विषयों के ऊपर भी थी. इस बात का पता चाणक्य नीति से चलता है. चाणक्य नीति में कई विषयों के ऊपर चर्चा की गई है. चाणक्य नीति के चौथे अध्याय में त्याग के बारे में कहा गया है. चाणक्य नीति के अनुसार,
इस श्लोक के अनुसार, अगर धर्म में दया नहीं है और जिस गुरु के पास विद्या नहीं है ऐसे लोगों का त्याग करना उचित है. इस श्लोक में आगे कहा गया है क्रोधी स्त्री और सगे-संबंधी जो स्नेह रहित हैं उनका भी त्याग कर देना चाहिए.
आचार्य चाणक्य ने त्याग के महत्व को समझाया है. हमारे जीवन में कुछ चीजों को त्याग देने में ही भलाई होती है. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो ये आपको ही नुकसान देता है और इससे कोई लाभ भी नहीं मिल पाता है. चाणक्य नीति में विद्या के महत्व के ऊपर जोर दिया गया है और गुरु की भूमिका के बारे में कहा गया है कि जिस शिक्षक के पास विद्या नहीं ऐसे शिक्षक को छोड़ देना चाहिए नहीं तो व्यक्ति को हानि होती है.
चाणक्य नीति के मुताबिक क्रोध से दूर रहना चाहिए. गुस्सा इंसान को बर्बाद कर देता है और जीवन से सुख-शांति को कम कर देता है. किसी भी व्यक्ति के गुणों से लोग उसकी इज्जत करते हैं.
किसी भी व्यक्ति के जीवन में सगे-संबंधियों का अहम स्थान होता है. अगर आपके संबंधी आपसे प्रेम नहीं रखते तो आचार्य चाणक्य के अनुसार इन लोगों का साथ आपके लिए भला नहीं है. ऐसे लोगों से दूरी रखना ही सही है.