Chanakya Niti: इन 5 जगहों पर गांधी जी के बंदर की तरह मुंह बंद करने में ही भलाई, नहीं तो बढ़ जाएगी दिक्कते
Chanakya Niti: चाणक्य नीति अपनाने वाला व्यक्ति जीवन की हर परेशानी से निपटने में सक्षम हो जाता है, क्योंकि ये नीतियां राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और निजी संबंधों से जुड़े जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करती है.
By Shashank Baranwal | March 5, 2025 7:51 AM
Chanakya Niti: भारत में आदर्श शिक्षक की बात की जाए, तो चाणक्य का नाम पहले याद आता है. आचार्य चाणक्य एक महान अर्थशास्त्री होने के साथ कुशल रणनीतिकार और नीतिशास्त्री थे. उन्होंने अपने जीवन के बेहतरीन अनुभवों और शिक्षाओं के आधार पर एक ग्रंथ की रचना की, जिसे चाणक्य नीति के नाम से जाना है. ये नीतियां आज के आधुनिक युग में भी बहुत ही प्रासंगिक हैं. ये नीतियां दुनिया में लोकप्रिय है. चाणक्य नीति अपनाने वाला व्यक्ति जीवन की हर परेशानी से निपटने में सक्षम हो जाता है, क्योंकि ये नीतियां राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और निजी संबंधों से जुड़े जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करती है. चाणक्य कहते हैं कि बुद्धिमान व्यक्ति बिना सोचे समझे कहीं पर कुछ भी नहीं बोलते हैं. वे काफी सोच-विचार के ही अपनी बातों को रखते हैं. ऐसे में चाणक्य नीति के एक श्लोक में लिखा है कि व्यक्ति को कुछ स्थितियों पर चुप रहना ही ठीक होता है. समझदार लोग कुछ जगहों पर अपना मुंह नहीं खोलते हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति गुस्सा हो, उसे समझाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. ऐसा व्यक्ति आपका चाहे जितना सगा हो, उसे गुस्से के वक्त समझाना ठीक नहीं होता है, क्योंकि ऐसे समय में व्यक्ति के मुंह से कुछ भी निकल सकता है, जो कि आपके दिल को ठेस पहुंचा सकता है.
चाणक्य नीति के अनुसार, तनावपूर्ण स्थिति या लड़ाई झगड़े वाली जगह पर चुप रहना ही ठीक होता है. ऐसी जगहों पर बुद्धिमान व्यक्ति समझदारी दिखाते हैं और कुछ नहीं चुप रहते हैं. ऐसा इसलिए कि वे फालतू की लड़ाई-झगड़ों में नहीं फंसते हैं.
चाणक्य नीति के मुताबिक, जहां आपकी प्रशंसा हो रही है, वहां चुप रहना ही ठीक होता है, क्योंकि ऐसी स्थितियों में बोलना अहंकार को दर्शाता है. इसके अलावा, दूसरों की प्रशंसा को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए.
चाणक्य नीति में बताया गया है कि मूर्खों को किसी भी बात को समझाना मूर्खता होती है, क्योंकि उन पर किसी भी बात का असर नहीं होता है. ऐसे लोगों को समझाने से सिर्फ और सिर्फ समय की बर्बादी होती है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बिना मांगे किसी को सलाह नहीं देनी चाहिए. ऐसा करना दूसरों को अपमानित महसूस करा सकता है. यही वजह है कि बुद्धिमान व्यक्ति सलाह मांगने पर ही किसी को कोई बात समझाते हैं.