Chanakya Niti: आखिर क्या है सबसे बड़ा दुख? चाणक्य नीति से जानें जिंदगी की कड़वी सच्चाई

Chanakya Niti: किसी भी व्यक्ति के जीवन में दुख और सुख लगा रहता है. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में तीन दुखों के बारे में बताया है. इन दुखों के कारण व्यक्ति का जीवन कष्ट में गुजरता है. तो आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य के विचार इस विषय पर.

By Sweta Vaidya | April 10, 2025 8:41 AM
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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य अपने समय के बहुत बड़े विद्वान थे. मौर्य साम्राज्य को स्थापित करने में उनका अहम योगदान रहा था. आचार्य चाणक्य को एक कुशल रणनीतिकार और कूटनीतिज्ञ के तौर पर आज भी याद किया जाता है. आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र में कई मुद्दों के ऊपर अपने अनुभव साझा किया है जो आज भी लोगों का मार्गदर्शन करने में मददगार है. चाणक्य नीति आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय के आठवें श्लोक के अनुसार, 

कष्टं च खलु मूर्खत्वं कष्टं च खलु यौवनम्। 

कष्टात्कष्टतरं चैव परगृहे निवासनम्।। 

चाणक्य नीति के इस श्लोक के अनुसार, मूर्खता और युवावस्था कष्टदायक है. इस श्लोक में आगे एक और कष्ट का वर्णन मिलता है वह है किसी दूसरे के घर में रहना. आचार्य चाणक्य के मुताबिक व्यक्ति के जीवन में ये तीन कष्ट हैं. तो आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से. 

मूर्ख होना है कष्टदायक 

आचार्य चाणक्य के अनुसार, मूर्खता किसी भी व्यक्ति के लिए एक बड़ी परेशानी है. मूर्ख व्यक्ति को अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस तरह के इंसान को सही और गलत की समझ नहीं होती है और लोग फायदा उठा लेते हैं. चाणक्य नीति के मुताबिक जिस व्यक्ति के पास ज्ञान की कमी है ऐसे इंसान का जीवन कष्टों से भरा होता है. 

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जवानी को क्यों माना गया है दुख?

जवानी व्यक्ति के जीवन का सबसे खास समय होता है. इस समय में ही व्यक्ति सबसे अधिक ऊर्जावान रहता है. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में यौवन को एक कष्ट माना है. जवानी में व्यक्ति जोश से भरा होता है और ये बात इंसान को घमंडी बना देती है. जवानी के जोश के आगे व्यक्ति सामने वाले को कुछ नहीं समझता और अक्सर गलती कर बैठता है और इस बात का खेद जीवन भर रहता है. 

सबसे बड़ा दुख क्या है?

चाणक्य नीति के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा दुख दूसरे के घर में रहना है. आचार्य चाणक्य मानते हैं कि दूसरों के घर में रहना अत्यंत कष्टदायक है क्योंकि व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता खो देता है. कोई भी काम उसे दूसरों से पूछ कर ही करना पड़ता है. इस तरह से जीवन जीना सबसे बड़ा दुख है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है

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