भावनाओं में बहकर न करें किसी की सहायता
आचार्य चाणक्य के अनुसार, बिना सोचे समझे किसी भी व्यक्ति की मदद नहीं करनी चाहिए. जो व्यक्ति केवल भावनाओं में बहकर दूसरों की सहायता करता है वो कई बार खुद ही संकट में फंस जाता है. अथार्त अगर आप बिना उसकी परिस्थिति का आकलन किये बगैर, बस दया या रिश्ते के नाम पर किसी की मदद कर देते हैं, तो वो व्यक्ति बाद में आपका ही नुकसान कर सकता है. खासकर तब, जब सामने वाला आपकी भलमनसाहत का फायदा उठाने की नीयत रखता हो.
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कौन सी गलती नहीं करनी चाहिए?
चाणक्य स्पष्ट रूप से कहते हैं कि मदद करने से पहले यह जरूर सोचें कि सामने वाला उसके योग्य है या नहीं. कई बार लोग केवल सहानुभूति बटोरकर दूसरों से सहायता लेते हैं लेकिन बाद में धोखा दे देते हैं.
दूसरों की मदद करते समय इन बातों को जरूर रखें
- मदद करने से पहले व्यक्ति के स्वभाव और नीयत को समझें
- बार-बार मदद मांगने वाले लोगों से सावधान रहें.
- किसी की सहायता अपनी क्षमता से बाहर जाकर न करें.
- रिश्ते, दोस्ती या दबाव में आकर बिना जांच-पड़ताल के मदद न करें.
भावनात्मक निर्णय से बचें
चाणक्य कहते हैं कि एक समझदार व्यक्ति वह होता है जो सिर्फ भावना नहीं, बुद्धि से भी काम ले. अगर आप सिर्फ दिल से काम लेंगे, तो लोग उसका फायदा उठाकर आपको मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं.
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