घर और परिवार में
चाणक्य कहते हैं कि क्रोध के वश में आकर बोले गए शब्द रिश्तों को खत्म कर सकते हैं.” यदि कोई व्यक्ति घर-परिवार में क्रोधित होकर कुछ भी बोल देता है, तो वह अपनों का विश्वास खो सकता है. इसलिए घर में सबसे पहले धर्य रखना जरूरी है, खासकर गुस्से में.
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धन के मामले में
चाणक्य मानते थे कि अगर धन का बुद्धि से उपयोग न किया गया हो इसे नष्ट होते देर नहीं लगती है. इसलिए बाजार में या लेन-देन करते समय यदि संयम नहीं रखा गया तो धोखा, घाटा या चोरी संभव है. जरूरत से ज्यादा खर्च, दिखावे का शौक या बिना सोचे निवेश विनाश का रास्ता बन सकता है.
सार्वजनिक स्थल पर बातचीत करते समय
चाणक्य नीति के अनुसार इंसान की जीभ ऐसी चीज है जो किसी को क्षण भर में राजा तो किसी रंक बना सकती है. इसलिए सार्वजनिक स्थानों, ऑफिस, या सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म पर जुबान पर कंट्रोल न रखने पर अपमान, बदनामी और कानूनी परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं. इसलिए इंसान को इन जगहों पर क्या बोलना है, कहां और कैसे बोलना है यह यह सीखना बहुत जरूरी है.
स्त्री या पुरुष के प्रति आकर्षण होने पर
कई बार इंसान जिंदगी में बहुत अधिक अकेला हो जाता है. ऐसी स्थिति में जब भी उन्हें अवसर मिलता है कामवासना में बहकर खुद पर कंट्रोल नहीं रख पाता है. चाणक्य के अनुसार “कामवासना पर नियंत्रण न होने पर व्यक्ति अपना सम्मान खोता है.” अगर स्त्री या पुरुष के प्रति आकर्षण या गलत भावना पर नियंत्रण नहीं रखा गया तो यह सामाजिक प्रतिष्ठा, विवाह और जीवन तक को बर्बाद कर सकता है.
सत्ता या अत्याधिक सफलता मिलने पर
चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति किसी ऊंचाई पर पहुंचकर स्वयं को सबसे श्रेष्ठ मान लेता है, वह उसे वहां से गिरने में देर नहीं लगती.” क्योंकि सफलता, पद या धन मिलने पर अहंकार आना स्वाभाविक हैय लेकिन यदि संयम नहीं रखा गया, तो वही घमंड विनाश की वजह बन सकता है. इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है.
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