अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे तद् बलप्रदम्।
भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्। ।
इस श्लोक के अनुसार, भोजन नहीं पचने पर पानी औषधि का काम करता है. आगे इस श्लोक के अनुसार भोजन करते समय पानी अमृत के जैसा है और खाने के बाद विष के समान होता है.
औषधि के समान
चाणक्य नीति के अनुसार, पानी को गुणकारी बताया गया है. आचार्य चाणक्य के मुताबिक अगर खाना ठीक से नहीं पचा है तब पानी औषधि की तरह काम करता है. अगर खाने के बाद पाचन होने में दिक्कत है तो पानी पीने से इस समस्या से राहत मिलती है. पानी पीने से खाना पच जाता है और शरीर में ताकत आती है.
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अमृत के समान है
आचार्य चाणक्य पानी के महत्व के बारे में बताते हैं. उनके अनुसार, पानी अमृत के समान होता है. चाणक्य नीति में बताया गया है कि भोजन के दौरान थोड़ा-थोड़ा पानी पीना अमृत के समान होता है. ये पाचन के लिए अच्छा होता है.
जहर के समान
पानी जीवन के लिए जरूरी है और ये सेहतमंद रहने के लिए आवश्यक भी है. लेकिन इस स्थिति में पानी विष के जैसा होता है. आचार्य चाणक्य के अनुसार, खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए. ऐसा करना शरीर के लिए अच्छा नहीं होता है.
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