बाल दिवस का इतिहास और महत्व
भारत में बाल दिवस की शुरुआत जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर हुई, जिन्हें ‘चाचा नेहरू’ के नाम से जानते थे. पंडित नेहरू को बच्चों से बहुत लगाव था और उनका मानना था कि बच्चे देश का भविष्य हैं. उनके विचार में बच्चों को अच्छी शिक्षा और स्वस्थ जीवन दिए जाने की जरूरत है, ताकि वे भविष्य में समाज और देश की बेहतरी में अपना योगदान दे सकें.
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क्या बाल दिवस साल में दो बार मनाया जाता है?
1954 में संयुक्त राष्ट्र ने 20 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस घोषित किया था. हर साल 20 नवंबर को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस मनाया जाता है. लेकिन भारत में इसे पंडित नेहरू की जयंती पर मनाने का फैसला किया गया.
बाल दिवस का उद्देश्य
बाल दिवस का मुख्य उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना, उन्हें सुरक्षित माहौल देना और उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देना है. बाल दिवस पर बच्चों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार, बाल श्रम और शिक्षा की कमी जैसी समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. यह दिन बच्चों की खुशी का प्रतीक है साथ ही उनके अधिकारों के प्रति समाज में जिम्मेदारी को बढ़ावा देता है.
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बच्चों के प्रति पंडित नेहरू का नजरिया
पंडित नेहरू का मानना था कि बच्चों को बचपन में सही मार्गदर्शन और प्यार दिया जाना चाहिए. उनके अनुसार बच्चों को बिना किसी भेदभाव के स्वतंत्र रूप से सीखने और बढ़ने का अधिकार मिलना चाहिए. पंडित नेहरू हमेशा बच्चों के बीच जाना और उनके साथ समय बिताना पसंद करते थे और उनका मानना था कि बच्चों में मासूमियत, सच्चाई और वफादारी होती है, जो बड़े लोगों को भी प्रेरित करती है.
बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी
बाल दिवस बच्चों के अधिकारों पर केंद्रित है जैसे कि अच्छी शिक्षा का अधिकार, बाल श्रम से सुरक्षा और सुरक्षित और प्यार भरे माहौल में बड़े होने का अधिकार. भारत में बाल संरक्षण कानून और संस्थाएं बाल अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रही हैं, जिसका उद्देश्य बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना है.
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