दिवाली के पर्व पर जलाये जानेवाले पटाखे देखने में जितने लुभावने लगते हैं, इनसे निकलने वाला धुआं स्वास्थ्य को उतना ही नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में जरूरी है कि रोशनी के इस त्योहार में आप स्वास्थ्य संबंधी कुछ सावधानियाें पर ध्यान दें...
By Prachi Khare | October 28, 2024 5:03 PM
Diwali health 2024 : दीपावली में अमावस्या की अंधेरी रात को रोशन करनेवाले रॉकेट और अन्य पटाखों की लाल-चमकीली चमक भले ही आंखों को लुभावनी लगती है, लेकिन यह हवा को जहरीले प्रदूषकों से भर देती है. पटाखों को जलाने पर इनसे उत्सर्जित होनेवाले जहरीले प्रदूषक जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर न केवल वायु की गुणवत्ता पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं, बल्कि आखों व सांस से जुड़े गंभीर स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा करते हैं. यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ रोशनी के इस त्योहार पर पटाखों से दूर रहने की सलाह देते हैं.
पटाखों से उत्सर्जित होनेवाले प्रदूषक
लेड : लेड का धुआं मस्तिष्क व तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है. लंबे समय तक लेड के धुएं के संपर्क में रहने से बच्चे विकासात्मक देरी और सीखने की अक्षमता का शिकार हो सकते हैं. मैग्नीशियम : इसके धुएं के संपर्क में आने से ‘मेटल फ्यूम फीवर’ हो सकता है. इस बुखार में ठंड लगने और मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होने की शिकायत होती है. मैंगनीज : फेफड़ों में जलन, मांसपेशियों में अकड़न और कंपकंपी की समस्या व लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने पर लकवा भी हो सकता है. सोडियम, पोटेशियम, सल्फर और कॉपर : जलने पर जहरीली गैसें बनाते हैं, जिससे खांसी, जलन और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है. कैडमियम : इसका धुंआ लंबे समय तक अंदर लेने पर शरीर में जमा हो जाता है, जिससे लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचता है. यह हड्डियों को कमजोर भी बना सकता है. फास्फोरस : सिरदर्द की शिकायत पैदा करता है. यह आंखों को भी गंभीर नुकसान पहुंचाता है और लीवर को प्रभावित कर सकता है. नाइट्रेट्स और नाइट्राइट्स : दोनों जलने पर जहरीले धुएं का उत्सर्जन करते हैं और कमजोरी, पेट में दर्द, ऐंठन और यहां तक कि कोमा का कारण बन सकते हैं.