- “धर्मो रक्षति रक्षितः”
जो व्यक्ति धर्म का पालन करता है, उसके द्वारा धर्म की रक्षा होती है.
- “यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः, तत्र श्रीः विजयो भूयः”
जहां योगेश्वर कृष्ण और अर्जुन होते हैं, वहां श्री, विजय और पराजय नहीं होती.
- “सच्चे सुख का मूल आधार है संतोष”
जो व्यक्ति संतोषी होता है, वही सच्चे सुख का अनुभव करता है.
- “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”
तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में नहीं.
- “जीवन में सच्ची सफलता तभी मिलती है जब व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करता है”
कर्तव्य पालन से ही जीवन में सच्ची सफलता प्राप्त होती है.
- “अहिंसा परमो धर्मः”
अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है.
- “जैसे बीज बोएंगे, वैसे ही फल पाएंगे”
अपने कार्यों के अनुसार ही जीवन में परिणाम मिलता है.
- “कृपया और क्षमा से बड़ा कोई गुण नहीं है”
दया और क्षमा सबसे महान गुण हैं.
- “जो स्वयं को जानता है, वही वास्तव में बुद्धिमान होता है”
आत्मज्ञान ही सच्ची बुद्धिमत्ता है.
- “सच्चा धन वह है जो मन की शांति और संतोष में होता है”
धन का असली माप मन की शांति और संतोष है.
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गरुड़ पुराण के ये उद्धरण हमें जीवन के मूल सिद्धांतों को समझने में मदद करते हैं और सफलता की ओर मार्गदर्शन करते हैं.