Gita Updesh: कर्म करो, फल की चिंता मत करो
(कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन)
श्रीकृष्ण कहते हैं कि इंसान का अधिकार सिर्फ कर्म करने में है, न कि उसके फल पर. जब हम परिणाम की चिंता छोड़ देते हैं, तो डर खुद-ब-खुद कम हो जाता है. यह उपदेश सिखाता है कि हर हाल में कर्म करते रहो, डर परिणाम का नहीं होना चाहिए.
Gita Updesh: आत्मा अजर, अमर और अविनाशी है
(न जायते म्रियते वा कदाचित्)
गीता में बताया गया है कि आत्मा का न जन्म होता है और न मृत्यु. यह समझ आने पर मृत्यु, हानि और बिछड़ने का डर कमजोर पड़ जाता है. व्यक्ति समझ जाता है कि शरीर नश्वर है, लेकिन आत्मा अजर और अमर है.
Gita Updesh: स्थिर बुद्धि वाला व्यक्ति कभी विचलित नहीं होता
(समत्वं योग उच्यते)
जीवन में सुख-दुख, सफलता-विफलता आती-जाती रहती है. लेकिन जो व्यक्ति हर परिस्थिति में एक समान भाव रखता है, वह कभी भी डर या घबराहट का शिकार नहीं होता. यह उपदेश मानसिक शांति और स्थिरता का आधार है.
Gita Updesh: मोह और आसक्ति ही डर का कारण हैं
गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि जब तक हम चीजों, लोगों या परिणामों से अत्यधिक जुड़ाव रखते हैं, तब तक डर बना रहता है. लेकिन जैसे ही हम मोह छोड़ देते हैं, हम आजाद हो जाते हैं, और डर भी चला जाता है.
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