Gita Updesh: दूसरों को दुःख देकर धन जुटाना है महापाप- श्रीमद्भगवद्गीता

धन और भोग की लालसा में किया गया अधर्म आत्मघाती होता है- जानिए गीता में क्या कहा गया है ऐसे कर्मों के दुष्परिणामों के बारे में.

By Pratishtha Pawar | May 24, 2025 10:58 AM
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Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता के उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने हजारों वर्ष पहले थे. गीता का यह उपदेश विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो धन और सुख के पीछे भागते हुए दूसरों का शोषण, दुःख या छल करते हैं. गीता कहती है कि ऐसा व्यक्ति न केवल पाप करता है, बल्कि वह अपने जीवन का भी गहरा अहित कर बैठता है.

Gita Updesh | Gita Life Lessons | श्रीमद्भगवद्गीता उद्धरण

“जो दूसरों को दुःख देकर धन-संग्रह एवं भोग भोगना चाहता है, उसके समान मूर्ख और कोई नहीं, क्योंकि वह अपने आप अपना महान अहित कर लेता है.”

-श्रीमद्भगवद्गीता

Bhagavad Gita Teachings: इन कारणों से व्यक्ति अपना अहित स्वयं कर बैठता है

1. Gita Quotes on Karma | कर्म का दुष्चक्र

जब कोई व्यक्ति दूसरों को कष्ट पहुंचा कर धन या संसाधन एकत्र करता है, तो वह बुरे कर्म करता है. गीता के अनुसार, हर कर्म का फल निश्चित होता है. ऐसा व्यक्ति अपने कर्मों से ही अपने भविष्य को दुखमय बना लेता है.

2. Mental Peace in Geeta | मानसिक अशांति और अपराधबोध

गलत तरीके से कमाया गया धन व्यक्ति को मानसिक शांति नहीं दे सकता. उसे हमेशा इस बात का भय सताता है कि उसकी असलियत कभी भी उजागर हो सकती है. यह अपराधबोध उसके मन को निरंतर कचोटता रहता है.

3. Gita Quotes for Society | सामाजिक बहिष्कार

जो व्यक्ति समाज में छल, धोखा या शोषण के रास्ते से धन कमाता है, उसे समाज में सम्मान नहीं मिलता. वह धीरे-धीरे अपनों से कट जाता है और एकाकी जीवन व्यतीत करता है.

4. Gita Message on Money | धन की अस्थिरता

गलत मार्ग से कमाया गया धन कभी स्थायी नहीं होता. ऐसे धन की रक्षा करना कठिन होता है और किसी न किसी रूप में वह व्यक्ति से छिन ही जाता है – चाहे चोरी से, बीमारी से या अपयश से.

4. Bhagavad Gita Spiritual Guidance | आध्यात्मिक पतन

गीता में यह स्पष्ट कहा गया है कि जो व्यक्ति भोगों में लिप्त होता है और दूसरों के दुख की परवाह नहीं करता, वह आत्मा की शुद्धि नहीं कर सकता. उसका अध्यात्मिक पतन निश्चित है.

5. Punarjanman in Gita | पुनर्जन्म में दंड

हिंदू दर्शन के अनुसार, मृत्यु के बाद भी व्यक्ति को अपने कर्मों का फल मिलता है. जो दूसरों को दुःख पहुंचाता है, उसे अगली योनि में भी कष्ट भोगने पड़ते हैं.

धन की प्राप्ति हर किसी की आवश्यकता है, लेकिन अगर इसे गलत मार्ग से अर्जित किया जाए तो वह सिर्फ पाप ही नहीं, आत्मविनाश का कारण बन जाता है. गीता हमें यह सिखाती है कि सच्चा सुख केवल धर्म और करुणा के मार्ग से ही संभव है. जो व्यक्ति दूसरों के दुःख पर अपना सुख खड़ा करता है, वह अंततः अपने ही जीवन को दुःखमय बना देता है.

इसलिए, सही मार्ग पर चलें, परिश्रम करें, और दूसरों के साथ सहानुभूति और न्याय का व्यवहार करें – यही गीता का सच्चा संदेश है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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