Gita Updesh: जिसे यह बातें होती है पता उसे कभी नहीं सताती चिंता

Gita Updesh: भगवद गीता का यह उपदेश सिखाता है कि जो होना है वह होकर रहेगा, फिर चिंता किस बात की? जानें प्रभुविश्वास का महत्व.

By Pratishtha Pawar | June 15, 2025 8:36 AM
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Gita Updesh: हम सभी के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब भविष्य को लेकर चिंता, असमंजस और भय हमारे मन को घेर लेते हैं. लेकिन भगवद गीता का एक उपदेश ऐसा है जो इन सभी भावनाओं का समाधान करता है. यह उपदेश हमें न केवल आत्मिक शांति देता है बल्कि जीवन के प्रति हमारी सोच और दृष्टिकोण को भी बदल देता है. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्धभूमि में जो ज्ञान दिया, वही आज हर व्यक्ति के जीवन में मार्गदर्शन बन सकता है.

Gita Updesh: भगवद गीता के अनमोल वचन

जो नहीं होने वाला है वह कभी नहीं होगा, और जो होने वाला है वह होकर ही रहेगा, फिर चिंता किस बात की?

इसलिए प्रभु विश्वासी निश्चिंत रहता है.

गीता उपदेश

गीता का मूल उपदेश

भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है -“जो नहीं होने वाला है वह कभी नहीं होगा, और जो होने वाला है वह होकर ही रहेगा, फिर चिंता किस बात की?”यह वाक्य एक साधारण व्यक्ति को आत्मविश्वास और आंतरिक स्थिरता देता है. गीता सिखाती है कि चिंता करना व्यर्थ है क्योंकि ब्रह्मांड में हर घटना पूर्वनिर्धारित है और हमारे हाथ में केवल कर्म है.

Gita Updesh on Worry: चित्त की शांति कैसे प्राप्त करें? चिंता से मुक्ति के उपाय

जो व्यक्ति यह समझ लेता है कि-

  • वह कर्ता नहीं है, केवल एक माध्यम है,
  • फल की चिंता व्यर्थ है, क्योंकि वह ईश्वर के नियंत्रण में है,
  • हर घटना का कारण और समय निश्चित है,
  • तो वह व्यक्ति चिंता से मुक्त हो जाता है.

Krishna Quotes to Stop Overthinking: प्रभुविश्वासी व्यक्ति का दृष्टिकोण

प्रभुविश्वासी व्यक्ति जानता है कि ईश्वर की योजना सर्वोत्तम है. उसे यह यकीन होता है कि हर परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, उसमें कोई न कोई शुभ संकेत छिपा है. इसलिए वह हर क्षण को सहजता से स्वीकार करता है और निश्चिंत रहता है.

कर्म करते चलो, फल की चिंता मत करो- यही गीता का सार है

Bhagavad Gita Quotes for Life: जीवन में उतारें यह शिक्षा

  1. हर परिस्थिति को ईश्वर की इच्छा समझें.
  2. नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण रखें.
  3. हर दिन को कर्मयोगी की तरह जिएं.
  4. ध्यान, भक्ति और विश्वास से जीवन में स्थिरता लाएं.
  5. जो आपके वश में नहीं, उस पर तनाव न लें.

गीता का यह उपदेश केवल एक श्लोक नहीं, बल्कि जीवन का सार है. जब हम यह मान लेते हैं कि जो कुछ होना है, वह होकर रहेगा और जो नहीं होना है, वह लाख कोशिशों के बाद भी नहीं होगा, तब हमारा मन पूर्णतः शांत हो जाता है. यही कारण है कि गीता का ज्ञान आज के युग में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना महाभारत के समय था.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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