Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा कब और क्यों मानाया जाता है, जानें इस दिन का महत्व

Guru Purnima 2024: इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि का योग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग एक विशिष्ट प्रकार का योग है जो सप्ताह के किसी विशेष दिन कुछ नक्षत्रों के पड़ने पर बनता है. इन नक्षत्रों का संयोग नए कार्यों या व्यवसाय को करने के लिए शुभ माना जाता है.

By Bimla Kumari | July 5, 2024 2:50 PM
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Guru Purnima 2024: दुनियाभर में 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी. इस दिन चुने हुए आध्यात्मिक या शैक्षणिक गुरुओं की पूजा की जाती है और उनके अनुयायियों द्वारा उनका सम्मान किया जाता है. यह आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह महाभारत लिखने वाले ऋषि वेद व्यास का जन्मदिन है

बन रहा सर्वार्थ सिद्धि योग का योग


हिंदी पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दौरान कई योगों का मिलन होता है. इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि का योग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग एक विशिष्ट प्रकार का योग है जो सप्ताह के किसी विशेष दिन कुछ नक्षत्रों के पड़ने पर बनता है. इन नक्षत्रों का संयोग नए कार्यों या व्यवसाय को करने के लिए शुभ माना जाता है.

कब है गुरु पूर्णिमा


ऐसा माना जाता है कि इस दौरान कोई भी नया उद्यम सफल होता है. रविवार, 21 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई को शाम 5:09 बजे शुरू होगी और अगले दिन 21 जुलाई को दोपहर 3:56 बजे तक रहेगी.

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गंगा स्नान और दान-पुण्य


गुरु पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद माता-पिता को गुरु मानकर उनके चरण स्पर्श करने चाहिए. इस दौरान उनके चरणों में पुष्प अर्पित करने चाहिए. इससे जीवन में आ रही परेशानियों या बाधाओं से मुक्ति मिलती है. गुरु पूर्णिमा का पर्व ज्ञान और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है.

बुद्ध के सम्मान में मनाया जाता है यह त्योहार


गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण त्योहार है क्योंकि उनका मानना ​​है कि गुरु व्यक्ति को अंधकार से बाहर निकाल सकते हैं. बौद्ध धर्म में, यह त्योहार बुद्ध के सम्मान में बौद्धों द्वारा मनाया जाता है. योगिक परंपरा में, इस दिन को उस दिन के रूप में मनाया जाता है जब भगवान शिव पहले गुरु बने थे. यह त्योहार गुरु-शिष्य परंपरा को बढ़ावा देता है.

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