जब होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठी, तो वह स्वयं जल गयी, पर विष्णु भक्त प्रह्लाद बच गया. भविष्य पुराण के अनुसार, नारदजी ने राजा युधिष्ठिर से कहा था कि होली के दिन सभी जीवों को अभयदान देना चाहिए, ताकि प्रजा हंसी-ठिठोली करते हुए होली का त्योहार मनाये. इस अवधि में भजन व पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. होलिका दहन के लिए जो स्थान चिन्हित किये गये हैं, वहां लकड़ियां रखने का विधान है, ताकि होलिका में उनका दहन किया जा सके. इस दौरान गंगास्नान व दान भी करने की भी परंपरा है.
होलिका दहन मुहूर्त: इस वर्ष यह मुहूर्त रविवार, 28 मार्च को सूर्यास्तकाल में 2 घंटे 20 मिनट तक है. पंचांग के अनुसार, होलिका दहन संध्या में 06:37 से 08:56 बजे तक संपन्न करना शुभ. आज स्नान-दान व व्रत की पूर्णिमा.
सोमवार, 29 मार्च को प्रतिपदा में सर्वत्र होली का उत्सव मनाया जायेगा. आज से वसंतोत्सव का प्रारंभ होगा.
पूर्णिमा तिथि: शनिवार, 27 मार्च को रात्रि 02:29 बजे से रविवार, 28 मार्च को रात्रि 12:40 बजे तक.
पूजा हेतु सामग्री: कच्चा सूत, तांबे के लोटे में जल, चावल, सुगंध, पुष्प, 8 पुरी, हल्दी, लौंग, तेजपत्र, कपूर, गेहूं की बालें, नारियल, बताशा या कोई मिठाई तथा रोली/कुंकुम.
होलिका दहन मंत्र
दीपयान्यद्यतेघोरे चिति राक्षसि सप्तमे |
हिताय सर्व जगत प्रीतये पार्वति पतये ||
होलिका विभूति वंदना मंत्र
वन्दितासि सुरेंद्रेण ब्रहमणा शङ्करेण च |
अतस्त्वं पाहि नो देवी भूते भूति प्रदे भव ||
(आप इंद्र, ब्रह्म एवं शंकर द्वारा पूजा की गयी हैं, इसलिए हे देवी, मेरी रक्षा करो. हे भूते तुम ऐश्वर्य प्रदायनी हो.)
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इन मंत्रों से विधिवत पूजन कर जल अर्पित करें तथा होलिका की तीन बार परिक्रमा करें. फिर दूसरे दिन होलिकाभस्म को मस्तक, सीने व नाभि में लगाएं तथा घर के हर कोने में छिड़क दें. ऐसा करने से घर में शुद्ध वातावरण रहेगा एवं सुख-समृद्धि बनी रहेगी.
श्रीपति त्रिपाठी
ज्योतिषाचार्य व धर्म विशेषज्ञ
Posted By: Sumit Kumar Verma