Diwali 2023 : दिवाली पर पूजा स्थान पर आप भी स्वास्तिक बनाते हैं. कुछ लोग अक्सर स्वास्तिक बनाते वक्त कोई ना कोई चूक कर देते हैं इसलिए सही फल के लिए इसे बनाने की सही विधि जरूर जाननी चाहिए .
स्वास्तिक को साथिया या सतिया के नाम से भी जाना जाता है. वैदिक ऋषियों ने अपने आध्यात्मिक अनुभवों के आधार पर कुछ विशेष प्रतीकों की रचना की. स्वास्तिक इन्हीं संकेतों में से एक है, जो मंगल को दर्शाता है और जीवन में खुशियों को प्रकट करता है.
स्वस्तिक शब्द को सु और अस्ति का मिश्रण माना जाता है. सु का अर्थ है शुभ और अस्ति का अर्थ है -शुभ होना, कल्याण होना इसलिए स्वास्तिक का अर्थ है कुशल और कल्याणकारी.
क्या है स्वस्तिक बनाने का तरीका : स्वस्तिक में 2 सीधी रेखाएं होती हैं, जो एक दूसरे को काटती हैं, जो बाद में मुड़ जाती हैं. इसके बाद ये रेखाएं अपने सिरों पर थोड़ा आगे की ओर मुड़ जाती हैं.
स्वास्तिक को दो तरह से खींचा जा सकता है. स्वास्तिक बनाने का सबसे पहला तरीका है “घड़ी की दिशा में स्वास्तिक” जिसमें आगे की ओर इशारा करते हुए रेखाएं हमारे दायीं ओर मुड़ जाती हैं.
स्वास्तिक बनाने का दूसरा तरीका काउंटर क्लॉकवाइज स्वास्तिक है जिसमें रेखा हमारे बाईं ओर मुड़कर पीछे की ओर इशारा करती है.
स्वस्तिक का प्रारंभिक आकार पूर्व से पश्चिम की ओर एक ऊर्ध्वाधर रेखा के रूप में और उसके ऊपर दक्षिण से उत्तर की ओर दूसरी क्षैतिज रेखा के रूप में जोड़ा जाता है, और इसकी चार भुजाओं के सिरों पर पूर्व से एक रेखा होती है. इसके बाद चार रेखाओं के बीच में एक बिंदु रखा जाता है.
7 अंगुल, 9 अंगुल अथवा 9 इंच के प्रमाण में स्वस्तिक बनाने का विधान है. मंगल कार्यों के अवसर पर पूजा स्थल और चौखट पर स्वस्तिक बनाने की परंपरा है.
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