इसके पीछे कई कारण रहे है. इनमें से लगातार हो रहे जंगलों की कटाई, जंगली जानवरों का शिकार, उनके चमड़ियों की मार्केट में भारी मांग आदि.
95 प्रतिशत घटी बाघों की संख्या
वर्ल्डवाइड फंड फॉर नेचर की मानें तो जंगही बाघों की संख्या पीछले 150 सालों में करीब 95 प्रतिशत घट गयी है. आपको बता दें कि अभी पूरी दुनिया में मिलाकर कुल 3900 टाइगर ही बचे है. जिनमें से 3000 भारत में ही है.
अंतराष्ट्रीय टाइगर दिवस का इतिहास
सबसे पहले विश्व बाघ दिवस की शुरूआत साल 2010 में हुई थी. रूस के सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में यह दिवस मनाया गया था. इस दौरान कुल 13 देश समिट का हिस्सा बने थे. जहां साल 2022 तक जंगली बाघों की संख्या दोगुनी करने का वैश्विक तौर पर लक्ष्य रखा गया था.
अंतराष्ट्रीय टाइगर दिवस का महत्व
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है
हमारे पर्यावरण के लिए बाघ क्यों जरूरी
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दरअसल, बाघों को फूड चेन का अहम हिस्सा माना गया है. जिनके वजह से वातावरण अनुकूल रहता है.
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अगर बाघ जैसे मांसाहारी जावनरों की कमी हो गयी तो घास-फूस खाने वाले पशु ज्यादा मात्रा में पार्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते है.
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बाघ आमतौर पर हिरणों का शिकार करते हैं. एक बड़े हिरण को खाकर वे एक हफ्ते तक अपनी भूख मिटा सकते हैं.
वर्ल्ड टाइगर डे कोट्स
वर्ल्ड टाइगर डे स्लोगन
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शेरों को बचाओ, जीवन को बचाओ
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इसकी है जरुरत हमें, बाघ है तो जंगल है.
Posted By: Sumit Kumar Verma