Jitiya Locket: जितिया व्रत भारतीय परंपराओं में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो खासकर माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए रखा जाता है. इस व्रत का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था से ही नहीं, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक मूल्यों से भी जुड़ा हुआ है. जितिया व्रत में एक खास चीज का महत्व है, और वह है ‘जितिया का लॉकेट’. इस लॉकेट को माताएं संतान की सुरक्षा और उनके जीवन की दीर्घायु के प्रतीक के रूप में पहनती हैं.
जितिया व्रत का महत्व
जितिया व्रत खासतौर पर उत्तर भारत, बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी से लेकर नवमी तक तीन दिनों तक चलता है. इस व्रत का प्रमुख उद्देश्य अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करना है. व्रत रखने वाली महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं और भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं, जिनकी कृपा से माना जाता है कि संतान पर कोई संकट नहीं आता.
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जितिया का लॉकेट, सुरक्षा का प्रतीक
जितिया व्रत के दौरान माताएं एक विशेष प्रकार का लॉकेट धारण करती हैं, जिसे ‘जितिया का लॉकेट’ कहा जाता है. यह लॉकेट न केवल धार्मिक प्रतीक है, बल्कि इसमें आस्था और विश्वास भी समाहित है. मान्यता है कि यह लॉकेट संतान को हर प्रकार के बुरे प्रभाव, दुर्घटना या बीमारियों से बचाता है. इसे धारण करने से मां और संतान दोनों को ईश्वर की विशेष कृपा मिलती है.
जितिया का लॉकेट
विशेषकर चांदी या सोने से बना होता है, और इसमें भगवान जीमूतवाहन या अन्य धार्मिक चिह्न अंकित होते हैं. इसे गले में धारण करने का प्रमुख कारण यह है कि इसे हृदय के पास रखा जाता है, जिससे सुरक्षा और आशीर्वाद की भावना बनी रहती है. माना जाता है कि यह लॉकेट बुरे सपनों, नकारात्मक ऊर्जा और दुर्घटनाओं से रक्षा करता है.
कैसे तैयार होता है जितिया का लॉकेट
जितिया का लॉकेट बनाने की प्रक्रिया भी एक प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान है. इसे शुभ मुहूर्त में तैयार किया जाता है और विशेष पूजन विधि से इसे पवित्र किया जाता है. कुछ परिवारों में यह परंपरा होती है कि जितिया का लॉकेट पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित किया जाता है, और इसे एक अनमोल धरोहर की तरह संजोया जाता है. इस लॉकेट में विशेष धातुओं का उपयोग किया जाता है, जिनमें धार्मिक महत्व होता है.
विज्ञान और धार्मिक विश्वास का मेल
जितिया का लॉकेट धार्मिक विश्वास पर आधारित है, लेकिन इसके पीछे मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक पहलू भी छिपे हुए हैं. जब कोई माँ जितिया का लॉकेट धारण करती है, तो वह अपने मन में यह विश्वास रखती है कि उसकी संतान सुरक्षित है. इस प्रकार का विश्वास सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और माताओं को मानसिक शांति और आत्मसंतुष्टि प्रदान करता है. विज्ञान कहता है कि सकारात्मक विचार और विश्वास वास्तव में स्वास्थ्य और जीवन पर अच्छा प्रभाव डाल सकते हैं, और शायद यही कारण है कि माताएं जितिया का लॉकेट धारण करने में इतना विश्वास रखती हैं.
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