देश हमेशा याद रखेगा
“सीमाओं की सुरक्षा के लिए जनरल बिपिन रावत द्वारा लिए गए साहसी फैसलों और सशस्त्र बलों के मनोबल को हमेशा ऊंचा रखने में उनके द्वारा दिए गए योगदान को देश हमेशा याद रखेगा. दिवंगत जनरल बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत को उनकी पहली पुण्यतिथि पर मन, हृदय और आत्मा से शत शत नमन. उनकी दिवंगत आत्मा को शांति मिले और कश्मीरी उग्रवादियों के खिलाफ उनके स्टैंड के लिए भारत उन्हें हमेशा याद रखेगा.
परिवार भी भारतीय सेना में दे चुके हैं सेवा
जनरल बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को पौड़ी में हुआ था. वह जिले के साइना गांव के निवासी थे और उनका पालन-पोषण एक ऐसे परिवार में हुआ, जिसका भारतीय सेना में सेवा का एक लंबा इतिहास रहा है. उनके पिता, लेफ्टिनेंट-जनरल लक्ष्मण सिंह रावत, पौड़ी गढ़वाल जिले के सैंज गांव से थे.
“स्वॉर्ड ऑफ ऑनर” मिला है
बिपिन रावत ने देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी और खडकवासला में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से भी डिग्री प्राप्त की, जहां उन्हें “स्वॉर्ड ऑफ ऑनर” प्राप्त हुआ. स्वाभाविक रूप से वह बाद में भारतीय सेना के उच्च माने जाने वाले जनरल बन गए, जिसके रूप में उन्हें जाना जाता था, सेना प्रमुख (सीओएएस) के पद पर पदोन्नत होने से पहले और फिर भारत के सेना प्रमुख के पद पर पदोन्नत होने से पहले कई सैन्य विभागों में सेवा की. पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) एक पद जिसे उन्होंने अपने असामयिक निधन तक लगन से धारण किया.