Makar Sankranti 2024 : मकर संक्रांति पर क्यों खास है खिचड़ी खाने की परंपरा, जानें महत्व और टेस्टी रेसिपी

Makar Sankranti 2024 : हिन्दू धर्म में सभी संक्रांतियों में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य ग्रह मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति होती है. इस दिन भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. चूड़ा -दही तिलकुट के साथ इस दिन खिचड़ी खाने का खास महत्व है.

By Meenakshi Rai | January 14, 2024 7:33 PM
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जब सूर्य ग्रह मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति होती है. इस दिन भगवान सूर्यदेव का पूजन किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान-पुण्य करने और खिचड़ी खाने का विशेष महत्व होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन खिचड़ी क्यों खाई और खिलाई जाती है? दरअसल, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है.

मकर संक्रांति पर खिचड़ी का महत्व और लाभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति के दिन जो खिचड़ी बनाई जाती है उसका संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है. खिचड़ी में प्रयोग होने वाले चावल का संबंध चंद्रमा से, उड़द की दाल का शनि देव से, हल्दी का संबंध गुरु देव से और हरी सब्जियों का संबंध बुध देव से होता है. इसके अलावा घी का संबंध सूर्य देव से है. इसलिए मकर संक्रांति की खिचड़ी को बेहद खास माना जाता है.

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने के साथ दान का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने के साथ ही किसी ब्राह्मण को दान भी देना चाहिए. इस दिन उन्हें घर बुलाकर खिचड़ी खिलाएं और इसके बाद कच्ची दाल, चावल, हल्दी, नमक और हरी सब्जियां दान करें. कहा जाता है कि खिचड़ी खाने से सेहत बढ़ती है और सेहत अच्छी रहती है. इसके सेवन से रोग दूर भागते हैं और व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है.

खिचड़ी बनाने की परंपरा

यह भी कहा जाता है कि खिलजी से युद्ध के दौरान नाथ योगी बहुत कमजोर हो गए थे और भूख के कारण सभी की तबीयत बिगड़ने लगी थी. गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी एक साथ पकाकर सबको खिलाया. इससे नाथ योगियों को ऊर्जा मिली और उनके स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ. कहा जाता है कि तभी से खिचड़ी बनाने की परंपरा चली आ रही है.

खिचड़ी खाने से सूर्य और शनि ग्रह मजबूत

पौराणिक मान्यतों के अनुसार, सभी लोग इस दिन खिचड़ी बनाते हैं और सूर्य देव को भोग लगाकर इसे खाते हैं. खिचड़ी बनाना न सिर्फ एक रिवाज है, बल्कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसा करने से जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छे भी होते हैं. मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से सूर्य और शनि ग्रह मजबूत होते हैं. इसके साथ ही करियर में सफलता भी प्राप्त होता हैं. ऐसा माना जाता है कि सूर्य व शनि ग्रह की स्थिति ठीक होने से जातक के जीवन में कभी भी कोई समस्या नहीं आती हैं.

बाबा गोरखनाथ के समय से मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बांटने की परंपरा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माना जाता है कि बाबा गोरखनाथ के समय से मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और बांटने की परंपरा शुरु हुआ था. जिस समय मोहमद खिलजी ने भारत पर आक्रमण किया था, तब नाथ योगियों को युद्ध के बीच खाना बनाने का समय नहीं मिलता था और वे सभी भूखे पेट लड़ाई के लिए निकल जाते थे. तभी गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी पकाने की सलाह दी, इससे पेट भी भरता था और पूरा पोषण भी मिलता था. जब खिलजी से युद्ध के बाद मुक्ति मिली तो योगियों ने मकर संक्रांति के दिन उत्‍सव मनाया और याद के रूप में खिचड़ी बनाई और इसके साथ ही सभी को बांटी भी जाने लगी. बता दें कि हर साल गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी मेला भी लगता है और वहां का खिचड़ी पर्व पूरी दुनिया में मशहूर हैं.

  • एक कप चावल और मूंग दाल या राहर दाल को धोकर छान लें.

  • मौसमी सब्जियां जैसे मटर, गोभी ,बीन , टमाटर को साफ करके छोटे टुकड़ों में काट लें.

  • सामग्री – हल्दी – एक चम्मच, जीरा पाउडर, गोलकी पाउडर, हल्दी पाउडर, मिर्च पाउडर, नमक स्वादनुसार, गरम मसाला गोटा, तेजपत्ता, प्याज घी या तेल

  • एक बड़ी कड़ाही में घी गरम होने पर जीरा डालें, इसके चटकने पर मिर्च, बड़ी इलायची, तेजपत्ता और कटे प्याज को डालें.

  • जब प्याज लाल हो जाए तो चावल और दाल को डालकर भूनें इसमें हल्दी, जीरा और गोलकी पाउडर डालें , मटर और हरी सब्जियों को डालकर भूनें.

  • जब ये अच्छे से भूना जाए तो पानी डालकर पकाएं. पक जाने के बाद कटी हुई हरी धनिया पत्ती डालें.

  • खाने से पहले घी का तड़का इसका स्वाद बढ़ा देगा. इसके साथ दही, चोखा, पापड़ और अचार को शामिल करना ना भूलें

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