रूढ़िवादी सोच को चुनौती
प्राइड मंथ में आयोजित विशेष फोटो शूट पर घोषाल ने कहा, “हम नई पीढ़ी के पुरुषों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो आकर्षक परिधान पहनकर लैंगिक रूढ़िवाद और मर्दानगी के विचार को चुनौती देते हैं.” उनका मानना है कि बहुत जरूरी है कि लोग अपने रूढ़िवादी सोच को बदलें.
पुरुषों को एक खास तरीके से ही कपड़े क्यों पहनने होते हैं
यह पहल करने वाले देवरूप भट्टाचार्य ने कहा, “रूढ़िवादी लोग हमारे आसपास हर जगह हैं और हमें उनके साथ रहने पर मजबूर होना पड़ता है लेकिन पुरुषों को एक खास तरीके से ही कपड़े क्यों पहनने होते हैं. इसका कोई जवाब नहीं है.” आज के युवा अपने आपको किसी एक फैशन में बांधना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते और वे इसमें बदलाव चाहते हैं. लेकिन पुरुषों को एक खास तरीके से ही कपड़े क्यों पहनने होते हैं इसका जवाब किसी के भी पास नहीं है.
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फोटो शूट में साड़ी की एक परिधान के रूप में विविधता को दर्शाया
देवरूप भट्टाचार्य ने कहा कि प्राइड मंथ के अवसर पर आयोजित विशेष फोटो शूट में एक तरफ साड़ी की एक परिधान के रूप में विविधता को दर्शाया गया और दूसरी तरफ पहनने वाले कपड़े के विकल्प चुनने की स्वतंत्रता को रेखांकित किया गया. इस कार्यक्रम में साड़ियों के कलेक्शन्स के साथ उसके परिधान के रूप में अनगिनत उपयोग को दिखाने के साथ ही यह बताने का प्रयास किया गया कि कोई भी परिधान किसी एक वर्ग के लिए तय करना गलत है. परिधान को चुनने में पहनने वाले की अपनी मर्जी शामिल होना जरूरी है चाहे वह पुरुष हो या कोई महिला.