Mosquito: केरल में अभी वेस्ट नाइल फीवर के मामले काफी तेजी से फैल रहे हैं. यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है. वेस्ट नाइल फीवर वैसे तो पक्षियों में पायी जाने वाली बीमारी होती है, लेकिन मच्छरों के जरिये यह इंसान तक पहुंच जाता है. मच्छर ऐसी ही कई घातक बीमारियों के वाहक होते हैं.
मच्छर कैसे खोजते हैं शिकार
मच्छरों के सिर पर दोनों तरफ दो गोले होते हैं, जिनमें सैंकडों आंखें बनी होती हैं. उनके लिए अफसोस की बात यह है कि इतनी सारी आंखें होने के बावजूद, वे ठीक से देख नहीं पाते, क्योंकि इतनी आंखें मिल कर उनकी दृष्टि को पूरी तरह बिगाड़ देती हैं. ऐसे में मच्छर अपना शिकार खोजने के लिए अपने उन सेंसर्स का उपयोग करते हैं, जिनमें शिकार के शरीर से निकलने वाली गर्मी को पकड़ने की क्षमता होती है. इसके अलावा वे कार्बन डाइऑक्साइड को भी 75 मीटर दूर से महसूस कर लेते हैं. इससे भी उनको शिकार खोजने में मदद मिलती है, क्योंकि इंसान की सांसों से कार्बन डाइऑक्साइड ही निकलता है.
होते हैं नखरेबाज और डरपोक
ओ ब्लड ग्रुप वाले लोग मच्छरों को ज्यादा पसंद आते हैं. हां, मच्छर डरपोक भी हो सकते हैं. एक रिसर्च में दावा किया गया था कि अगर आपने एकबार किसी मच्छर को मारने की कोशिश की और वह बच जाये तो आपके आसपास कम-से-कम कई घंटों तक नहीं मंडरायेगा.
ये मच्छर होते हैं सबसे खतरनाक
वैसे तो मच्छरों की सैकड़ों प्रजातियां होती हैं, लेकिन उनमें कुछ बेहद खतरनाक होते हैं. जो जानलेवा बीमारियों के वाहक बनते हैं.
- एडिज एजिप्टी : इस मच्छर से जीका, चिकुनगुनिया और डेंगू जैसी घातक बीमारियां फैलती हैं. यह मच्छर सबसे पहले अफ्रीका में पाया गया था. आज के समय में मच्छरों की यह प्रजाति दुनिया के सभी गर्म देशों में पायी जाती है. इस मच्छर पर किसी कॉइल, अगरबत्ती, धुएं या स्प्रे का भी असर नहीं होता है.
- एडिज एल्बोपिक्टस : इस मच्छर से भी येलो फीवर, डेंगू वायरस फैलते हैं. ये मच्छर पहले दक्षिणी पूर्वी एशिया में पैदा हुआ था, मगर अब यह दुनिया के तमाम गर्म देशों में पाया जाने लगा है.
- क्यूलेक्स मच्छर : यह मच्छर आम रूप से घरों में पाया जाता है. यह वेस्ट नाइल वायरस का वाहक होता है. यह मच्छर भी दुनिया के गर्म प्रदेशों में पाया जाता है.
- एनोफिलिज गैम्बियाई : इसे अफ्रीकी मलेरिया मच्छर भी कहते हैं. मच्छर की यह नस्ल बीमारियां फैलाने में सब की उस्ताद कही जाती है.
मच्छरों से बचाव में ही होशियारी है
मच्छरदानी में सोने की आदत डालें, शाम के समय जब अंधेरा घिर जाये तो पार्क, मैदान, खेत जैसी जगहों में जाने से बचें, घर में या आसपास पानी जमा दिखे, तो साफ कराएं, मच्छरों से बचने के लिए घर में मॉस्क्विटो रेपेलेंट का प्रयोग करें.
मच्छरों से जुड़ी अन्य रोचक बातें
- मच्छरों की 2,500 से अधिक प्रजातियां दुनिया में हैं, लेकिन उनमें से केवल 100 नस्लें ही ऐसी हैं, जो इंसानों के लिए अधिक नुकसानदेह हैं.
- मच्छरों का खून ठंडा होता है, इसलिए वे साल के गर्म मौसम वाले महीनों में ज्यादा दिखते हैं. अधिक ठंडे स्थानों पर वे शीतनिद्रा भी ले सकते हैं.
- हमें काटने वाले मच्छर, असल में मादा मच्छर होती हैं. नर मच्छर अपना भोजन पौधों से ले लेते हैं.
- मादा मच्छर एकबार में 300 तक अंडे देती हैं. जमे, गंदे पानी वाले स्थान ऐसे अंडे देने के अनुकूल स्थान होते हैं.
- मादा मच्छर अपने कुल शारीरिक भार से तिगुना भोजन यानी इंसानी खून एकबार में पीने की क्षमता रखती है.
- नर मच्छर 10 दिनों तक और मादा मच्छर 6 से 8 हफ्ते तक जिंदा रह पाते हैं.
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