राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस : बढ़ते बाजार में कहीं ठगे ना जाएं आप , जानें अपने उपभोक्ता अधिकार

हमेशा से बाजार ने हमारी जरूरतों को पूरा करने का काम किया है. ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए आये दिन नये-नये योजनाएं लाता रहा. इनमें से कई योजनाएं प्रत्यक्ष हैं पर कई अप्रत्यक्ष भी हैं, जिनके बारे में ग्राहकों को खुल कर बताया नहीं जाता.ऐसी स्थिति में बतौर ग्राहक योजनाओं के बारे में जानना जरूरी है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 24, 2023 3:20 PM
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राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस: जैसे-जैसे इंसान की जरूरतें बढ़ती गयीं, बाजार भी उसके अनुरूप खुद को ढालता गया. बीते करीब दो दशक में देश और दुनिया भर में हो रहे तकनीकी विकास ने हमारे जीवन को काफी सरल व सुखमय बना दिया है. अब हमें बैंक, रेलवे, राशन और गैस सिलिंडर आदि के लिए घंटों लाइन में नहीं लगना पड़ता. सब कुछ बस एक क्लिक पर मौजूद है. वहीं, दूसरी ओर बैंक या बाजार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं के साथ-साथ कई बार कुछ अप्रत्यक्ष लाभ या अधिकार भी जुड़े होते हैं, जो कि आड़े वक्त में हमारा सहारा बन सकते हैं. ऐसे किसी भी सेवा प्रदाता की यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपने उपभोक्ता को इनके बारे में सही जानकारी दे और उनकी मदद करे, जबकि ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है. ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को इन अधिकारों या लाभों के बारे में जागरूक होना बेहद जरूरी है.

क्या आप जानते हैं कि एलपीजी गैस उपभोक्ताओं को गैस कंपनी बगैर किसी प्रीमियम के 50 लाख तक का बीमा देती है? चौंकिए मत! यह एकदम सच है. जैसे ही कोई उपभोक्ता गैस कनेक्शन लेता है, उसी वक्त वह उपरोक्त बीमा का लाभ प्राप्त करने योग्य हो जाता है. हालांकि, इसकी जानकारी न तो कंपनियां देती हैं और न ही अधिकांश उपभोक्ता कभी अपने इस अधिकार को जानने का प्रयास करते हैं. यह बीमा कवरेज सिलेंडर के चलते ग्राहकों के साथ होनेवाले किसी हादसे में जान-माल के होनेवाले नुकसान के लिए मिलता है.

रेल यात्रा बीमा का लाभ उन यात्रियों को मिलता है, जो ऑनलाइन टिकट बुक करते हैं. हालांकि, जानकारी या फिर अनदेखी करने की वजह से कम ही लोग इस विकल्प को चुनते हैं. महज एक रुपये से भी कम खर्च में इस बीमा के जरिये यात्री को 10 लाख रुपये तक का कवरेज मिलता है. इसलिए टिकट बुक करते समय बीमा के विकल्प जरूर चुनें. इसे चुनने पर आपके मोबाइल व ई-मेल आईडी पर एक लिंक आयेगा. इस लिंक पर क्लिक करने पर जो फॉर्म खुलेगा, वहां नॉमिनी की डिटेल जरूर भरें. नॉमिनी होने पर ही बीमा क्लेम मिलेगा.

कोई भी बैंक जैसे ही किसी ग्राहक को एटीएम कार्ड इश्यू करता है, उसके साथ ही ग्राहक को दुर्घटना बीमा और जीवन बीमा मिल जाता है. अगर आप किसी बैंक के एटीएम का कम-से-कम 45 दिनों से उपयोग कर रहे हैं, तो आप एटीएम कार्ड के साथ मिलने वाले इंश्योरेंस का दावा कर सकते हैं. ग्राहकों को क्लासिक कार्ड पर 01 लाख रुपये, प्लेटिनम कार्ड पर 02 लाख रुपये, सामान्य मास्टर कार्ड पर 50 हजार रुपये, प्लेटिनम मास्टर कार्ड पर 05 लाख रुपये और वीजा कार्ड पर 1.5-02 लाख रुपये तक इंश्योरेंस कवरेज मिलता है. प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत खुले खातों पर मिलने वाले रूपे कार्ड के साथ ग्राहकों को 01 से 02 लाख रुपये तक का बीमा मिलता है. अगर एटीएम कार्डधारक किसी दुर्घटना में वह दिव्यांग हो जाता है, तो उसे 50 हजार का कवरेज मिलता है. दोनों हाथ या दोनों पैर का नुकसान होने पर 01 लाख, मौत होने की स्थिति में 01 लाख रुपये से 05 लाख रुपये तक का कवरेज मिलता है. हालांकि, जानकारी के अभाव में गिने-चुने लोग ही इसका लाभ उठा पाते हैं. एचडीएफसी बैंक, कुर्जी, पटना के ब्रांच मैनेजर मनीष झा की मानें, तो इसका एक बड़ा कारण लोगों के बीच वित्तीय साक्षरता की कमी है. वहीं, कई मामलों में ऐसा देखने में आता है कि लोग साइबर फ्रॉड को चक्कर में पड़ कर अपनी जीवन भर की कमाई गंवा देते हैं. कई बीमा कंपनियां इसके विरुद्ध बीमा कवरेज प्रदान कर रही हैं.

दो माह पूर्व लंबी बीमारी के बाद रमा के पति का निधन हो गया. अस्पताल में भर्ती कराने से लेकर दवा-सूई आदि में भारी खर्च करने के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका. रमा और उसका पूरा परिवार पति की कमाई पर ही आश्रित था. ऐसी स्थिति में उनके निधन के बाद परिवार के ऊपर बड़ा आर्थिक बोझ आ पड़ा. तभी पति के एक दोस्त ने रमा को बताया कि उसके पति जिस बैंक का एटीएम कार्ड यूज करते थे, उसके तहत उसे दस लाख रुपये तक की सहायता मिल सकती है. यह जानकर रमा ने अगले ही दिन बैंक से संपर्क किया. जरूरी पेपर जमा करने के बाद उसे बैंक की ओर से एक बड़ी आर्थिक सहायता प्राप्त हुई, जिससे उसकी टूटती आस को एक मजबूत सहारा मिला.

केस स्टडी

डॉ रोहित के मोबाइल पर कुछ दिनों पहले अंजान नंबर से एक कॉल आया. उन्होंने मरीज समझकर उक्त कॉल को रिसीव कर लिया. दूसरी ओर से कोई आवाज नहीं आयी और कॉल डिस्कनेक्ट हो गया. थोड़ी ही देर बाद उनके फोन पर एक मैसेज आया, जिससे उन्हें पता चला कि उनके खाते से करीब सवा तीन लाख रुपये निकाल लिये गये हैं. मैसेज पढ़ते ही डॉ रोहित को पता चल गया कि वह साइबर स्कैम का शिकार हो चुके हैं. वो तो शुक्र था कि कुछ समय पूर्व ही उन्होंने साइबर क्राइम के विरुद्ध बैंक से एक इंश्योरेंस करवा रखा था, जिससे उनका सारा लूटा हुआ पैसा उन्हें वापस मिल गया.

रचना प्रियदर्शिनी

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