काम अधूरे क्यों रहते हैं? नीम करोली बाबा ने बताई वजह

Neem Karoli Baba: कैंची धाम आश्रम आज भी वही शांति, वही चमत्कारिक ऊर्जा बिखेरता है, जो उनके जीवनकाल में महसूस होती थी. नीम करोली बाबा के विचार जीवन को सफल बनाने का काम करते हैं. उन्होंने हमेशा प्रेम, सेवा और विश्वास करने की बात कही थी.

By Shashank Baranwal | April 26, 2025 8:27 AM
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Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा एक ऐसे संत थे, जिनका जीवन किसी साधारण व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक दिव्य आत्मा की कहानी है. वे केवल एक शरीर नहीं थे, वे एक भावना थे, एक आस्था थे, जो आज भी लाखों भक्तों के दिलों में जिंदा हैं. उनका हर शब्द, हर मुस्कान, हर चुप्पी ईश्वर के साक्षात्कार जैसी अनुभूति कराती थी. हनुमान जी के प्रति उनका प्रेम इतना गहरा था कि लोग उन्हें हनुमान जी का ही जीवित रूप मानने लगे. उनका कैंची धाम आश्रम आज भी वही शांति, वही चमत्कारिक ऊर्जा बिखेरता है, जो उनके जीवनकाल में महसूस होती थी. नीम करोली बाबा के विचार जीवन को सफल बनाने का काम करते हैं. उन्होंने हमेशा प्रेम, सेवा और विश्वास करने की बात कही थी. अक्सर कई लोग कोई काम शुरु तो करते हैं, लेकिन उस काम में असफल हो जाते हैं. आइए नीम करोली बाबा की दृष्टि में जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है.

  • नीम करोली बाबा का मानना था कि असफलता कोई पराजय नहीं, बल्कि आत्मविकास का एक जरिया है. उन्होंने कहा, “असफलता एक स्थायी स्थिति नहीं, बल्कि अनुभव से समृद्ध होने का अवसर है.” बाबा के विचार हमें सिखाते हैं कि गिरना गलत नहीं, लेकिन उसी जगह ठहर जाना गलत है. हर असफलता हमें अपने भीतर झांकने और बेहतर बनने का मौका देती है. यही दृष्टिकोण हमें जीवन के संघर्षों में संतुलन और साहस देता है.

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  • नीम करोली बाबा का कहना था कि किसी कार्य की जिम्मेदारी लेना ठीक है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है खुद को जानना. अगर व्यक्ति यह नहीं समझता कि वह क्या कर सकता है, तो वह अपने काम को पूरा नहीं कर सकता. बाबा के अनुसार, आत्मज्ञान के बिना कोई भी कार्य सही दिशा में नहीं बढ़ सकता. हमें अपनी कमजोरियों को स्वीकार करना चाहिए और उन्हें अपनी ताकत में बदलकर सफलता की ओर बढ़ना चाहिए. यही सच्ची साधना है.
  • जीवन में सफल होने के लिए मूल्यांकन बहुत जरूरी होता है, जो व्यक्ति अपने कामों का मूल्यांकन नहीं करता है, वह जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता है. नीम करोली बाबा का भी मानना था कि दिन के अंत में आत्म-मूल्यांकन करना आवश्यक है, जिससे हम यह जान सकें कि हमने अपने लक्ष्य की दिशा में पर्याप्त प्रयास किया या नहीं. बाबा मानते थे कि असफलता से नकारात्मकता और निराशा उत्पन्न होती है, लेकिन इससे उबरने के लिए ईश्वर और आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है. इसके साथ ही, सत्संग से मानसिक शक्ति मिलती है, जो हमें जीवन में सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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