संभोग से समाधि की ओर- समझें ओशो की दृष्टि में ‘काम’ का रहस्य, पढ़ें कोट्स
Osho Quotes: ओशो के विचार और प्रवचन दुनिया भर में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं, जो जीवन को समझने की एक नई दृष्टि प्रदान करते हैं. वह समाज के विभिन्न विषयों पर खुलकर बात करते हैं.
By Shashank Baranwal | April 22, 2025 11:23 AM
Osho Quotes: आध्यात्मिक गुरु और विचारक रजनीश, जिन्हें ओशो के नाम से जाना जाता है, अपने क्रांतिकारी विचारों और बेबाक शैली के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने जीवन की कठिनाइयों से निपटने के लिए आत्मचिंतन और जागरूकता को मार्ग बताया. प्रेम, तंत्र, धर्म, राजनीति जैसे विषयों पर खुलकर बोलने के कारण वे अक्सर विवादों में घिरे रहे, लेकिन उनकी गहराई को समझने वालों ने उन्हें सराहा भी. ओशो ने लोगों को जीवन को पूरी सजगता के साथ जीने की प्रेरणा दी. 19 जनवरी 1990 को उन्होंने पुणे स्थित अपने आश्रम में देह त्याग दी. लेकिन आज भी उनके विचार और प्रवचन दुनिया भर में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं, जो जीवन को समझने की एक नई दृष्टि प्रदान करते हैं. उनकी एक पुस्तक बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हुई, जिसका शीर्षक संभोग से समाधि की ओर था. इस किताब में उन्होंने यौन इच्छाओं पर बात की है. ऐसे में आइए उनकी इसी किताब से जुड़े कुछ चुनिंदा कोट्स को जानते हैं.
ओशो के मुताबिक, नहीं मैं कहता हूं इस धरती से मुक्त होना है, ताकि आकाश दिखाई पड़ सके. शरीर से मुक्त होना, ताकि आत्मा दिखाई पड़ सके. और ‘काम’ से मुक्त होना है, ताकि समाधि तक मनुष्य पहुंच सके.
ओशो के अनुसार, ‘काम’ के पूरे रहस्य को समझो, बात करो, विचार करो. मुल्क में हवा पैदा करो कि हम इसे छिपाके नहीं, समझेंगे.
ओशो कहते हैं कि प्रेम की सारी यात्रा का प्राथमिक बिंदु ‘काम’ है, क्योंकि ‘काम’ की ऊर्जा ही अंतत: प्रेम में परिवर्तित और रूपांतरित होती है.
आचार्य रजनीश कहते हैं कि ‘काम’ इच्छा को दबाने की जो भी चेष्टा है वह पागलपन है.
आचार्य रजनीश के अनुसार, जो प्रेम से डरे होते हैं, वे ‘काम’ से भयभीत नहीं होते हैं.
ओशो बताते हैं कि प्रेम खतरनाक होता है, संभोग नहीं.
रजनीश कहते हैं कि जब तक मानव कामवासना का दमन करना नहीं छोड़ेगा, तब तक वह ठीक से सांस भी नहीं ले पाएगा.
आचार्य रजनीश के मुताबिक, यदि 100 आदमी पागल होते हैं, तो उसमें से 98 आदमी यौन इच्छा को दबाने की वजह से पागल होते हैं.
आचार्य रजनीश ‘काम’ को थकान वाला बताते हैं. हालांकि उसके महत्व की भी बराबर बात करते हैं. वे कहते हैं कि ‘काम’ थकान लाता है. लेकिन उसकी उपेक्षा नहीं करना चाहिए. जब तक इसके पागलपन को नहीं जान लिया जाता है, तब इससे छुटकारा नहीं पाया जा सकता है.