भविष्य की चिंता छोड़ वर्तमान में जियें
ओशो बार-बार कहते थे कि “जीवन को हमेशा वर्तमान में जीना चाहिए. उनका कहना था कि जब हम आज को पूरी तरह नहीं न जीकर भविष्य की चिंता करते हैं, तो हम केवल समय बर्बाद कर रहे होते हैं. ओशो के अनुसार, वर्तमान को पूरी तरह जीने वाला व्यक्ति ही सच में जीवित होता है.
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प्रेम को जीवन का आधार बनाओ
ओशो कहते थे, “प्रेम कोई संबंध नहीं, एक अवस्था है.” जब आप हर किसी अपने अंदर प्रेम की भावना रखते हैं तो हर व्यक्ति, सभी परिस्थिति में सुंदरता देखने लगता है. बिना शर्त प्रेम करना ही सच्चा प्रेम है. जिसमें अपेक्षाएं नहीं, केवल समर्पण होता है.
ध्यान ही जीवन का सार है
ओशो का मानना था कि ध्यान केवल किसी गुफा में बैठने का नाम नहीं है. उन्होंने कहा था हर कार्य को सजग होकर और पूरी जिम्मेदारी से करना भी ध्यान है. चाहे आप खाना खा रहे हों या चल रहे हों. अगर आप पूरी उपस्थिति के साथ कर रहे हैं, तो वही ध्यान है.
सामाजिक नकाब उतार कर खुद को स्वीकारें
ओशो कहते हैं, “तुम जैसे हो, खुद को वैसे ही स्वीकारना सीखो.” समाज हमें एक ‘आदर्श’ इंसान बनने की दौड़ में डालता है, जिससे हम खुद से कट जाते हैं. ओशो का संदेश साफ है- दिखावे की ज़िंदगी छोड़ और अपनी मौलिकता को अपनाना ही जीवन है.
जीवन को गंभीर नहीं, खेल समझो
ओशो के अनुसार, जीवन को बोझ समझने की जगह एक नाच, एक उत्सव ही तरह देखना चाहिए. वह कहते थे कि “गंभीर होना मृत्यु की निशानी है. जीवन को हर परिस्थिति में हंसते हुए जीने के साथ साथ सिंपल तरीके से जिंदगी जीने में ही आनंद है.” जीवन को हल्केपन से जीना ही असली बुद्धिमानी है.
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