क्या कहा ओशो ने इन स्त्रियों के बारे में
ओशो ने इस संबंध में कहा है कि अगर तुम्हें ऐसी स्त्री मिल जाए जो तुम्हें तुम्हारे वास्तविकता के पास ले जाए, तुम्हारे होने का पहचान दिलाए तो उसे साए की तरह थामे रहना चाहिए. क्योंकि सफलता सिर्फ बाहरी उपलब्धि नहीं, वह एक भीतर की अवस्था है. ऐसी स्त्री अंदर से जीतने में मदद करती है.” तो आइए जानते हैं, ओशो की नजर में वे 5 प्रकार की महिलाएं कौन सी हैं जिनका साथ पुरुष को हर क्षेत्र में सफल बना सकता है.
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जो सोच में स्वतंत्र और आत्मा से कोमल हो
ओशो का मानना था कि एक ऐसी स्त्री जो अपना निर्णय खुद ले सके और उनके अंदर में प्रेम, करुणा और समझ हो. वह पुरुष की मानसिक शक्ति को निखारती है. ऐसी महिला प्रेरणा बनती है न कि किसी का दबाव. क्योंकि ऐसी स्त्री आपको उड़ने की हिम्मत देती है, और जमीन पर टिके रहने की समझ भी.
जो देह से नहीं, आत्मा से प्रेम करती हो
ओशो बार-बार कहते हैं कि जिस स्त्री का प्रेम सिर्फ शरीर तक सीमित नहीं, बल्कि आपके अस्तित्व से भी हो तो वह प्रेम ऊर्जावान, पवित्र और किसी की जिंदगी को बदलने वाला होता है. क्योंकि “ऐसा प्रेम पुरुष को टूटने नहीं देता, वह उसे संपूर्ण बनाता है.”
जो सुन लें पुरुषों को बगैर जज किए
ओशो के अनुसार, एक पुरुष को वैसी महिला की सबसे अधिक जरूरत होती है जो अस्वीकृति से मुक्त हो. अथार्त उसकी बातों को बिना तोड़े आलोचना किए बगैर सुन ले तो वह उसके जीवन की सबसे बड़ी ताकत बन जाती है. स्त्री के साथ पुरुष का आत्मविश्वास चरम पर होता है.
जो प्रेरणा बने, प्रतिबंध नहीं
ओशो कहते हैं कि सच्चा प्रेम कभी बंधन नहीं बनाता. अगर स्त्री आपके विजन, ड्रीम्स और उड़ान में साथ दे रही है, तो वह आपकी सफलता की चाबी है. ऐसी महिलाएं बिना जंजीरों में जकड़े पुरुष के जीवन को तेज रफ्तार देती हैं.
जो ध्यान और भीतर की यात्रा में हो शामिल
ओशो ध्यान को जीवन का मूल मानते थे. उनका कहना था कि अगर स्त्री भी उस आंतरिक यात्रा में सहभागी हो, तो वह पुरुष की चेतना को ऊपर उठा देती है. उनका मानना था “ध्यानशील स्त्री का साथ पुरुष को बाहर ही नहीं, भीतर भी विजयी बनाता है.”
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