पैसों के प्रति नजरिया बदलना जरूरी
ओशो की मानें तो इंसान को पैसे की प्रति अपनी नजरिया बदलना जरूरी है. इसके लिए जरूरी है कि पैसे को सम्मान दें. उसे अपने जीवन के जरूरत अनुसार ही उपयोग करें. साथ ही ओशो ने उस सोच को भी बदलने को कहा है कि पैसा बुराई की जड़ है.
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पैसी की कमी का रोना न रोयें
ओशो ने आर्थिक समृद्धि से जुड़ी से नकारात्मक बातें नहीं लाने को कहा है. उन्होंने “मेरे पास पैसे नहीं हैं”, “मैं गरीब हूं” जैसी बातें नहीं सोचने को कहा है. क्योंकि जैसा आप सोचेंगे आप वही ऊर्जा आप ब्रह्मांड को भेजेंगे. भले ही अभी आप सीमित संसाधन में अपना जीवन जीते हैं. लेकिन जब तक इसे बढ़ाने की भावना विकसित और इसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त नहीं करेंगे यह आपके पास नहीं आएगा.
देने की आदत बनाएं
ओशो मानते थे कि “जब आप दूसरों को देते हैं, तो ब्रह्मांड आपको और अधिक देने के लिए तैयार होता है.” छोटे-छोटे दान, किसी की मदद या भोजन बांटना भी आपके जीवन में सकारात्मक आर्थिक प्रवाह शुरू कर सकता है.
डर को छोड़, ध्यान से जुड़े
अक्सर लोग पैसे की तंगी से भय और असुरक्षा में डूब जाते हैं. ओशो सुझाव देते हैं कि ऐसे समय में ध्यान (Meditation) आपकी मदद कर सकता है. क्योंकि यह मन को शांत और स्थिर करता है. एक स्थिर मन ही सही फैसले ले सकता है, और वही आर्थिक दिशा बदलता है.
मेहनत जरूरी है, लेकिन सही सोच ज्यादा जरूरी
ओशो कभी भी आलस्य या भाग्य भरोसे रहने की सलाह नहीं देते थे. वे मानते थे कि कर्म भी करें और अंदर से धन को अपनाने की ऊर्जा विकसित करें. इसके लिए “स्मार्ट वर्क के साथ साथ पॉजिटिव माइंडसेट जरूरी है.
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