प्राकृतिक रहो, आकर्षण अपने आप पैदा होगा
ओशो कहते हैं, “यदि तुम अपने वास्तविक रूप में रहोगे, तो जो तुम्हारी ओर आकर्षित होगा, वह तुम्हारे अंदर मौजूद सच्चे स्वरूप से जुड़ेगा. लेकिन अगर तुम दिखावा करते हो, तो लोग उस दिखावे से जुड़ेंगे. इससे वह रिश्ता अधिक समय तक टिक नहीं सकता.” उनके अनुसार, जो लोग अपने भीतर संतुलित, आत्मविश्वासी और जीवन की गहराई को समझने वाले होते हैं, वे दूसरों को स्वाभाविक रूप से आकर्षित करते हैं.
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प्रेम को प्रक्रिया बनाएं, प्रदर्शन नहीं
ओशो का यह भी मानना था कि प्रेम को ‘प्राप्त करने’ की वस्तु की तरह न देखें. जब कोई लड़के लड़कियों को इंप्रेस करने के लिए सिर्फ बाहरी चीजों जैसे कि कपड़े, गाड़ी, पैसा या किसी अन्य दिखावे का सहारा लेते हैं, तो वे प्रेम की प्रक्रिया को प्रदर्शन बना देते हैं. ओशो इसे एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक हिंसा मानते हैं, जिसमें सामने वाले को प्रभावित करने की होड़ में उनकी आत्मा खो जाती है.
जो तुम हो, वही रहो
ओशो की शब्दों का मतलब निकालें तो इससे यह स्पष्ट होता है कि “जब आप किसी को पाने के लिए कुछ बनते हो जो आप वास्तव में हो नहीं. इससे आपकी प्रासंगिकता खत्म हो जाती है. और जो आप वास्तव में हो वह छिप जाता है. इसके बाद जो भी आकर्षण पैदा होता है, वह सतही होता है.
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