Osteoporosis : साइलेंट किलर है ऑस्टियोपोरोसिस, हड्डियों पर करता है वार
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी, जिसमें हड्डियों की मजबूती और घनत्व कम हो जाता है और हड्डियां भुरभुरी हो जाती हैं. 30 वर्ष की उम्र के बाद शरीर में हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है. ऑस्टियोपोरोसिस होने की स्थिति में हड्डियों के बार-बार टूटने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में कूल्हे, घुटना या रीढ़ की हड्डी का टूटना सबसे खतरनाक माना जाता है.
By Prachi Khare | April 11, 2025 3:46 PM
Osteoporosis : हममें से कई लोग ऐसे हैं, जो खानपान में पोषण से ज्यादा स्वाद को महत्व देते हैं, लेकिन अधिक समय तक पोषण की अनदेखी हमारे आंतरिक स्वास्थ्य को क्षति पहुंचाना शुरू कर देती है और बढ़ती उम्र के साथ शरीर विभिन्न प्रकार के रोगों से घिरने लगता है. खास तौर पर हड्डियों की सेहत के प्रति बरती गयी लापरवाही एक वक्त के बाद ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर समस्या का रूप ले सकती है. आमतौर पर 40 की उम्र के बाद इसके होने का खतरा अधिक होता है, लेकिन अब यह समस्या कम उम्र के लोगों में भी दिखने लगी है. साइलेंट किलर के नाम से जानी जानेवाली यह बीमारी क्या है, कैसे होती है और इससे बचाव के तरीके क्या हैं, जानें विस्तार से…
विश्व की दूसरी सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली बीमारी
200 मिलियन से भी अधिक लोग विश्व में ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हैं.
हर तीन सेकेंड में एक फ्रैक्चर होता है वैश्विक स्तर पर इस बीमारी का सामना कर रहे मरीजों में, इंटरनेशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार.
ऑस्टियोपोरोसिस, हृदय संबंधी समस्याओं के बाद विश्व की दूसरी सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली बीमारी है.
महिलाओं में जोखिम ज्यादा
3 में से 1 महिला और 5 में से 1 पुरुष दुनिया भर में 50 वर्ष की उम्र के बाद ऑस्टियोपोरोसिस फ्रैक्चर का सामना करते हैं.
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में तेजी से हड्डियों की क्षमता घटती है.
20% पचास वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं भारत में ऑस्टियोपोरोसिस के लिए अतिसंवेदनशील हैं.
डाइटिंग भी महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बनती है, जिसके कारण महिलाओं के शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता और वे इस रोग की चपेट में आ जाती हैं.